May 25, 2024

पैक्स प्रभारियों के लिये नैनो यूरिया के उपयोग पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन

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अम्बाला / 11 फरवरी / न्यू सुपर भारत

इफको द्वारा जिला अम्बाला की प्राथमिक सहकारी समितियों के प्रबन्धक व बिक्री प्रभारियों  के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बाला पर किया गया। कार्यक्रम में डा0 गिरीश नागपाल, उप कृषि निदेशक अम्बाला मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा0 सुनीता अहुजा, वरिष्ठ कोर्डिनेटर कृषि विज्ञान केन्द्र अम्बाला ने की। महा प्रबन्धक, दी अम्बाला केन्द्रीय बैंक अशोक कुमार विशेष अतिथि थे। कार्यक्रम में 55 पैक्स प्रभारियों  ने भाग लिया।

इस अवसर पर प्रवीण कुमार सहायक क्षेत्र प्रबन्धक, इफको ने बताया कि खेती में यूरिया के अत्यधिक प्रयोग से जमीनों की उपजाऊ शक्ति  पर विपरित असर पड रहा है। यूरिया का फ़सलें मात्रा 30 से 35 प्रतिशत ही उपयोग कर पाती है बाकी हिस्सा हमारी जमीन, पानी व वायु को प्रदुषित करता है। इफको द्वारा यूरिया के विकल्प के तौर पर नैनो यूरिया का विकास किया है जो कि फ़सलों में यूरिया की 50 प्रतिशत मात्रा का विस्थापन करने में सक्षम है। फ़सलों पर इसका? पहला स्प्रे फ़ूटाव की अवस्था में व दूसरा स्प्रे निसारे से पहले किया जाता है। इसका प्रयोग 500 एमएल  मात्रा को 125 लिटर पानी में घोलकर प्रति एकड की दर से किया जाता है

डा0 गिरीश नागपाल ने कहा कि सरकार द्वारा उर्वरकों की मात्रा? का निर्धारण जिलेवार फ़सलों के क्षेत्रफ़ल के अनूसार किया जाता है। इसलिये यह आवश्यक है कि उर्वरकों का वितरण जिला के वास्तविक किसानों को ही किया जाये। कृषि विभाग द्वारा उर्वरक वितरण की मोनिटरिंग पोस डिवाईस के माध्यम से की जा रही है जिसमें किसान की  पहचान बायोमिट्रिक प्रणाली से सत्यापित की जाती है।

उन्होने कहा कि पैक्सों द्वारा अपने सदस्य किसानों को उर्वरकों की उपलब्धता  सुनिश्चित  करने के लिये ऑफ़सीजन के दौरान पर्याप्त मात्रा में भंडारण की व्यवस्था रखनी चाहिये।
अशोक कुमार ने कहा कि पैक्सों को अपने व्यवसाय में विविधीकरण करने की आवश्यकता है जिससे की वे बदलते दौर में किसानों को ओर अधिक सेवायें दे सकें। ज्यादा से ज्यादा से किसानों को सहकारिता से जोडने की आवश्यकता है। भारत सरकार द्वारा भी सहकारिता तंत्र में जान फ़ूकने के लिये सहकारिता मंत्रालय का गठन किया है जिससे कि सहकारिता की योजना को बेहतर ढंग से लागु किया जा सके।

डा0 देवेन्द्र चहल, बागवानी विशेषज्ञ ने खेती बाडी से संबंधित तकनीकी जानकारी देते हुये कहा कि किसान तकनीकी जानकारियों से खेती पर होने वाले खर्च को कम कर सकते हैं। पैक्स के अधिकारी इसमें महत्वपूर्ण कडी हैं क्योंकि वे सीधे किसानों के संपर्क में रहते हैं।

डा0 सुनीता अहुजा ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा खेती की नई तकनीकियों के बारे किसानों को प्रशिक्षत किया जाता है। फसलों में लगने वाली बीमारियों व कीडों की रोकथाम के लिये विशेषज्ञ सलाह उपलब्ध करवाई जाती है। महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वालंभी बनाने का कार्य किया जाता है। इस अवसर पर सुमेर सिंह, गुणवता नियंत्रक निरिक्षक कृषि विभाग भी मौजूद रहे।

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