May 24, 2024

टौणी देवी में बच्चों को सिखाए गए आपदा से निपटने के गुर

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हमीरपुर / 05 अप्रैल / रजनीश शर्मा  ///

मॉक ड्रिल का उद्देश्य, आपदा की स्थिति में हमारी तैयारियां कैसी हैं, के बारे में जानना है। हिमाचल के कांगड़ा जिला के कई लोग 4 अप्रैल 1905 का दिन आज भी नहीं भूले होंगे जब सुबह करीब 6 बजकर 19 मिनट पर भूकंप के दो झटकों ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया। 7.8 तीव्रता के भूकंप ने  एक लाख घरों को  क्षतिग्रस्त करते हुए  20 हजार के करीब लोगों को मौत की गहरी नींद में सुला दिया था। आज इस हादसे को गुजरे 119 साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन तबाही का खतरा आज भी बरकरार है क्योंकि बेतरतीब ढंग से मकान बन रहे हैं। भविष्य में प्रदेश में इस तरह की त्रासदी में ज्यादा जान माल का नुक्सान न हो इसलिए हम सबको जागरूक होने की आवश्यकता है।

सब जानते हैं कि स्कूल एक महत्व्पूर्ण संरचनात्मक ढांचा है जिसे भावी नागरिक बनाने की जिम्मेदारी सौपी जाती रही है। इसलिये बच्चों, शिक्षको एवं कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। हाल के समय में स्कूली बच्चों से सम्बंधित  आग दुर्घटना एवं दुनिया भर में आये भूकम्पों में असुरक्षित स्कूल भवनों के कारण बड़ी संख्या में स्कूली बच्चे प्रभावित हुए हैं। इसलिये ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाये। इसी बात को ध्यान में रखते हुए राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला टौणी देवी ने नए सत्र के पहले दिन बच्चों को मॉक ड्रिल के जरिए आपदा जैसी विषम परिस्थितियों से निपटने के गुर सिखाए गए।

कार्यशाला में पाठशाला के स्टाफ ,एनएसएस स्वयंसेवियों, स्काउट गाइड एवं आपदा प्रबंधन की गठित टीमों  ने आपदा प्रबंधन का सफल प्रदर्शन किया। यह जानकारी देते हुए प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने बताया कि इस मॉक ड्रिल से भविष्य में होने वाली आपदा के बेहतर प्रबंधन और उससे होने वाले नुकसान को कम करना है। मॉक ड्रिल के माध्यम से जहां आपदा से निपटने की हमारी क्षमताओं का आंकलन होता है. वहीं, आपदा प्रबंधन तंत्र में कई कमियों का भी पता चलता है आपदा प्रबंधन के  प्रभारी सोनू गुलेरिया  ने विद्यार्थियों को प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, बाढ़, आंधी और मानव निर्मित आपदाओं से निपटने और लोगों की सहायता करने के तरीके बताए। विद्यार्थियों को बताया गया कि आपदा आने की सूरत में आपातकालीन नंबरों पर संपर्क साधना चाहिए।

साथ ही जितना हो खुद को आपदा स्थल से दूर रखा चाहिए। मॉक ड्रिल के उद्देश्य से अवगत कराते हुए उन्होंने कहा कि हमारी आपदा की स्थिति में क्या तैयारियां हैं, कैसे हम जान-माल की सुरक्षा कर सकते हैं और ऐसी स्थिति में राहत कार्य कैसे किए जाएं, पूरी प्रक्रिया को मॉक ड्रिल के माध्यम से करते हुए हर स्तर पर परिपूर्ण रहते हुए कार्य करने की बात कही। आपदा की स्थिति में सभी ने एक जुट होकर एक टीम वर्क के रूप में कार्य करते हुए जान माल की सुरक्षा के प्रति सामाजिक दायित्व का निर्वहन किया। इस अवसर पर सुरेश, संजीव, सतीश, कुसुम, पवन, राजेश, विजय सहित सभी अध्यापक उपस्थित रहे।

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