May 24, 2024

पराली प्रबंधन को लेकर सीपीसीबी ने अपने अधिकारियों के साथ वीसी के माध्यम से बैठक की

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हैदराबाद / 29 दिसंबर / न्यू सुपर भारत

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से धान के भूसे पर आधारित पेलेटमैक्स और टोरफेक्शन प्लांट के संबंध में शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रदेश भर के हितधारकों, शिक्षकों और जिला परिषद के सीईओ के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन मंडल के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पराली प्रबंधन को लेकर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि धान की पराली का सदुपयोग जिससे हो किसानों की बिक्री। पराली का प्रबंधन एवं प्रयोग करने वाले बायो फ़्यूल प्लांट और बिल्डरों को व्यवसाय करने वाले लोगों और निवेशकों को सरकार द्वारा एकमुश्त सहायता भी प्रदान की जाती है।

वीसी में अधिकारियों ने कहा कि धान की पराली और अन्य फसली जंगलों से लेकर विशाल प्रदूषण तक बेहद चिंता का विषय है और सामुहिक और सामूहिक हवाई मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ सीरिया के लिए भी घातक है। इस घटना से स्नातक के लिए हम सबको सामूहिक प्रयास करना होगा। इस बारे में भी अधिकारियों ने विस्तार से चर्चा की। पुरावशेषों में धान की पराली सहित अन्य वन्यजीवों के अवशेषों का उल्लेख किया गया है। किसानों को पराली से जुड़े रहस्यों के बारे में बताया गया और उन्हें अंतिम रूप देने के बारे में सलाह दी गई। उन्हें सरकार किसानों द्वारा हित में लेकर उनके बारे में पूछ रही है। अधिकारी विशेष रूप से फोकस बनाए रखें और वहां के किसानों को फ़ासल फ़्रांसिलों में भर्ती के लिए प्रेरित करें।

उन्होंने कहा कि पराली की कहानियों पर स्क्रैच के लिए वैलिडिटी राज ब्लॉक सहित किसानों और अन्य पुतलियों का सहयोग जुटाया गया है।इस संस्था पर नगर निगम अधिकारी श्री सुरेश कुमार ने कृषि, पंचायत और नगर निकाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि जिले में पराली प्रबंधन के बारे में किसानों को बताएं। धान की पराली और फसल प्रबंधन पर किसानों को मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के बारे में भी जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि जिन फैक्ट्रियों में पराली का प्रयोग किया जा रहा है और जहां-जहां जरूरत है, वहां का पूरा विवरण लेकर किसानों को भी दिलचस्पी है ताकि वे पराली बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति को और अधिक मजबूत कर सकें।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व सरकार के अपरिभाषित दस्तावेजों में पराली दर्ज किए जाने पर प्रशासन व प्रशासन द्वारा कार्रवाई अमल में लाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि धान और अन्य समुद्र तटीय इलाकों के आदिवासियों को उजागर करने वाले अवशेषों की जानकारी और जागरूकता के लिए जन संरक्षण अभियान चलाया जाए। व्यू में पेट्रोलियम कंट्रोल बोर्ड हिल्स से आरओ विनोद बाल्यान, कृषि उपनिदेशक डॉ. सहाग, पंचायत राज समिति एवं नगर निकाय विभाग के अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

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