हरोली के स्वयं सहायता समूह ने कपड़े धोने का पाउडर बनाकर अपनाया स्वरोजगार, पाया सम्मान

ऊना / 21 अगस्त / न्यू सुपर भारत
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत हरोली विकास खंड की ग्राम पंचायत कर्मपुर के सिया राम स्वयं सहायता समूह ने वॉशिंग पाउडर बनाने का कार्य कर स्वरोजगार की राह पर चलना सीख लिया है। वर्तमान में समूह के साथ जुड़कर 6 महिलाएं कपड़े धोने का पाउडर बनाने का कार्य कर रही हैं, जिससे वह आत्मनिर्भर बन रही हैं। ग्रुप के बनाए हुए वॉशिंग पाउडर की बाजार में अच्छी मांग है और उनका उत्पाद हाथों-हाथ बिक जाता है।
ग्राहक इस वॉशिंग पाउडर का उपयोग कपड़े धोने के साथ-साथ बर्तन साफ करने, गाड़ी धोने व फर्श धोने में भी करते हैं।ग्राम पंचायत कर्मपुर से सिया राम ग्रुप की उप प्रधान चांद रानी बताती हैं कि उनके गांव में 18 स्वयं सहायता समूह हैं, जो किसी न किसी प्रकार का उत्पाद बनाने के कार्य से जुड़े हैं। उत्पाद तैयार कर जहां अच्छी कमाई हो रही हैं, वहीं महिलाओं का आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। चांद रानी ने जयराम ठाकुर सरकार का धन्यवाद करते हुए कहा कि इन योजनाओं से महिलाओं को घर से बाहर निकल कर सशक्त बनने का मौका मिला है और हमें अपने परिवार का पालन पोषण करने में काफी मदद मिली है।
उन्होंने बताया कि वॉशिंग पाउडर बनाकर समूह की प्रत्येक महिला 4-5 हजार रूपए प्रतिमाह कमा लेती है। उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट की मांग बढ़ने से आमदनी में भी इजाफा हो रहा है। स्वयं सहायता समूह की महिलाएं वॉशिंग पाउडर बनाने के लिए कच्चे माल की खरीद पहले अंब से करती थी। लेकिन वर्तमान में लुधियाना से कच्चा माल लाया जा रहा है, जिससे उनकी लागत कम हुई है। सिया राम ग्रुप वॉशिंग पाउडर बनाकर न सिर्फ महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, बल्कि यह कार्य करने के लिए ग्रुप को प्रोत्साहित भी किया गया है।
खंड, जिला व राज्य स्तर पर ग्रुप को इस कार्य के लिए सम्मानित किया गया है।सिया राम ग्रुप की कोषाध्यक्ष बीना कुमारी कहती हैं कि वॉशिंग पाउडर बनाने का काम अपनाकर अपने घर का खर्च करने में काफी मदद मिली है। उन्होंने बताया कि ग्रुप ने 50-60 क्विंटल वॉशिंग पाउडर तैयार कर बेचा है, जिससे लगभग एक लाख तक का लाभ कमाया है।
बीना कुमारी ने बताया कि ग्रुप की महिलाएं अपने तैयार किए गए वॉशिंग पाउडर की सेल आस-पास के गांवों में ही करती हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर तथा प्रो. राम कुमार का धन्यवाद किया और कहा कि सरकार की इन योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को अपनी अर्थिकी सुदृढ़ करने में काफी मदद मिली है। वहीं एनआरएलएम की जिला कार्यक्रम प्रबंधक ज्योति शर्मा बताती है कि जिला ऊना में लगभग 1800-1900 स्वयं सहायता समूह हैं। उन्होंने कहा कि हरोली ब्लॉक में लगभग 600-700 ग्रुप कार्य कर रहे हैं।
यह ग्रुप पापड़, बड़ियां, सेवियां, आचार, तेल के साथ-साथ चावल की पैकिंग का कार्य कर उनको बिक्री केंद्र में पहुंचाकर आजीविका कमा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कार्य आरंभ करने से महिलाओं को पहले ट्रेनिंग दी जाती है ताकि वह अपने काम को आगे बढ़ाकर अपनी आजीविका कमाने में समर्थ बन सकें।हिमाचल प्रदेश औद्योगिक विकास निगम के उपाध्यक्ष प्रो. राम कुमार ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को प्रदेश सरकार हर प्रकार से मदद प्रदान करती है।
महिलाओं को एनआरएलएम की तरफ से आर्थिक मदद भी दी जाती है, जिससे वह अपना कामकाज शुरू कर सकें। उन्होंने कहा कि एनआरएलएम से जुड़कर विशेष रूप से महिलाओं को अच्छी आजिविका कमाने का मौका मिला है, जिससे उन्हें अपने घर का खर्च चलाने में काफी मदद मिली है और महिलाओं को एक अलग पहचान बनाने का अवसर भी मिला है।
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि जिला ऊना में स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को सोमभद्रा ब्रांड नाम से प्रचारित किया जा रहा है। समूहों के तैयार किए गए उत्पादों को विक्रय करने के लिए बौल में विक्रय केंद्र भी खोला गया है, जिससे मार्किटिंग में काफी मदद मिली है। उन्होंने बताया कि हर ब्लॉक में हिमइरा शॉप खुलवाई जा रही हैं। इसके साथ-साथ पोस्ट ऑफिस में सामान रखने के लिए काउंटर उपलब्ध करवाए गए हैं।