संस्कृत भाषा न केवल एक पुरातन शुद्ध व संपन्न भाषा है, बल्कि यह हमारे भारत की संस्कृति, इतिहास व परंपराओं की एक अनूठी परिचायक की धरोहर विरासत की पहचान भी है ।

संस्कृत भाषा न केवल एक पुरातन शुद्ध व संपन्न भाषा है, बल्कि यह हमारे भारत की संस्कृति, इतिहास व परंपराओं की एक अनूठी परिचायक की धरोहर विरासत की पहचान भी है ।

पालमपुर । जसवंत
संस्कृत भाषा न केवल एक पुरातन शुद्ध व संपन्न भाषा है, बल्कि यह हमारे भारत की संस्कृति, इतिहास व परंपराओं की एक अनूठी परिचायक की धरोहर विरासत की पहचान भी है । यह बात हिमाचल लोक हित कल्याण संस्था के केंद्रीय महामंत्री तुलसीराम डोगरा ने जारी एक बयान में कही ।उन्होंने कहा कि संस्कृत में संलग्न, विद्वानों व ऋषि-मुनियों ने समाज के कल्याण के निहार्थः राष्ट्र निर्माण में एक अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । उन्होंने हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज द्वारा प्रदेश में शीघ्र ही प्रथम संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करने की प्रशंसा व सराहना करते हुए कहा कि यह एक अनुकरणीय व कारगर कदम साबित होगा। उन्होंने कहा कि वैसे भी हिमाचल प्रदेश ऋषि मुनियों की तपोस्थली रही है, इसलिए यह प्रदेश देवभूमि के नाम से भी विश्व विख्यात है। डोगरा ने सुरेश भारद्वाज के उस बयान की प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रदेश में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना के उद्देश्य से प्रधान सचिव शिक्षा की अध्यक्षता में संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए एक शोध समिति तथा शैक्षणिक पहलुओं से भी एक शैक्षणिक समिति गठित करने का प्रयास भी अतुलनीय व कारगर सिद्ध होगा। डोगरा ने कहा कि समिति में प्रबुद्ध, प्रख्यात इतिहासकारों, साहित्यकारों, शोधकर्ताओं व विद्वानों का समावेश किया जाए । ताकि उनके मूल्यवान सुझावों व अनुभवों का भरपूर लाभ मिल सके । वही संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित करते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए कि यह गुरुकुल आश्रम का स्वरूप व प्रारूप हो तथा इसमें शिक्षा ग्रहण करने वाले अपनी पुरातन एवं समृद्ध संस्कृति का अवलोकन कर सकें।
जसवंत। पालमपुर