June 18, 2024

परम्परागत खेती को छोडक़र फसल विविधिकरण को अपनाकर किसान अपनी आय में ईजाफा करें : उपायुक्त

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गांव खारा खेड़ी में चंदन की खेती करने वाले किसान सुरेन्द्र गोदारा के खेत का निरीक्षण कर जानकारी लेते उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़।


-उपायुक्त ने गांव खारा खेड़ी में चंदन की खेती करने वाले किसान के खेत का किया औचक निरीक्षण


फतेहाबाद / 10 फरवरी /


किसान परम्परागत खेती को छोडक़र फसल विविधिकरण को अपनाएं। फसल विविधिकरण अपनाकर किसान अपनी आय को बढ़ा सकते हैं। सरकार भी इसके लिए अनेक प्रोत्साहन दे रही है। जिला प्रशासन द्वारा भी किसानों की हरसंभव मदद की जाएगी।


उक्त विचार उपायुक्त डॉ. नरहरि सिंह बांगड़ ने जिला के गांव खारा खेड़ी के किसान सुरेन्द्र गोदारा द्वारा की जा रही चंदन की खेती का निरीक्षण करने उपरांत उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उपायुक्त डॉ. बांगड़, डीएचओ डॉ. कुलदीप श्योराण सहित अन्य अधिकारियों ने चंदन की खेती कर रहे किसान सुरेन्द्र गोदारा के खेत का औचक निरीक्षण किया और अन्य फसलों के बारे में संबंधित किसान के परिवार से जानकारी प्राप्त की।

उन्होंने किसान सुरेन्द्र गोदारा व उसके परिवार को परम्परागत खेती से हटकर आधुनिक खेती अपनाने तथा पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा देने पर बधाई दी। उपायुक्त ने कहा कि किसान कम लागत से अधिक पैदावार वाली खेती को अपनाकर अपनी आय में ईजाफा कर सकते हैं। उन्होंने जिला के किसानों से आग्रह किया कि वे नई-नई तकनीकों के माध्यम से फसल विविधिकरण को अपनाए और सरकार द्वारा किसानों के उत्थान के लिए लागू की गई योजनाओं का भी ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाए।


उल्लेखनीय है कि जिला का एकमात्र किसान सुरेन्द्र गोदारा ने अपनी दो एकड़ जमीन में चंदन की खेती कर रहे हैं। चंदन की लकड़ी बहुत कीमती होती है। चंदन की लकड़ी 6 से 16 हजार रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मार्किट में बेची जाती है। चंदन का पौधा लगाने उपरांत दस वर्ष के बाद में एक पेड़ लगभग एक लाख रुपये तक की कीमत का हो जाता है। इस मौके पर खारा खेड़ी निवासी किसान सुरेन्द्र गोदारा व उसके परिवार ने संयुक्त रूप से बताया कि चंदन की खेती करने के लिए वे पिछले कई वर्षों से प्रयासरत थे।

उन्होंने बताया कि चंदन की खेती तापमान पर भी निर्भर करती है। उन्होंने चंदन की पौध मैसूर (कनार्टक) से मंगवाई। खेत में पहुंचने तथा जमीन में लगाने तक एक पौध पर एक हजार रुपये की राशि वहन हुई है। दो एकड़ में लगभग 8 लाख रुपये की लागत आई है, जो आने वाले दस वर्षों के बाद इस दो एकड़ में 6 करोड़ 50 लाख रुपये की आमदनी होगी। उन्होंने बताया कि वे चंदन की खेती के साथ-साथ अंजीर, पपीता आदि फल-फूल वाली खेती को अपना रहे हैं। इसके साथ-साथ वे पशुपालन व्यवसाय को अपनाकर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं।


उपायुक्त डॉ. बांगड़ ने कहा कि फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों को जिला प्रशासन द्वारा मार्किटिंग सहित दूसरी सुविधाएं दी जाएगी। किसान वैज्ञानिक तरीके से फल, दाल, सब्जी सहित मछली, मधुपालन व पशुपालन कर अपनी आय बढ़ा सकते हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन ने उपमंडल व जिला स्तर पर किसान क्लब स्थापित करवाए है। कृषि विज्ञान केंद्र और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों को जागरूक किया गया है। जिला के बहुत से किसानों ने धान की फसल को छोडक़र दूसरी फसलें लगाई और सरकार की योजनाओं का फायदा उठाया है। जिला के किसानों ने पराली प्रबंधन में भी प्रशासन और सरकार का सहयोग किया तथा प्रबंधन के लिए आगे आए।

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