June 17, 2024

हथकरघा उद्योग क्षेत्र ग्रामीण आबादी को आजीविका के अवसर प्रदान करने और गरीबी उन्मूलन में निभाता है महत्वपूर्ण भूमिका

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शिमला / 11 अगस्त / न्यू सुपर भारत

हथकरघा उद्योग क्षेत्र ग्रामीण आबादी को आजीविका के अवसर प्रदान करने और गरीबी उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर युवा जागृति संगठन द्वारा नाबार्ड के सौजन्य से आयोजित हथकरघा से आत्मनिर्भर प्रदर्शनी का इंदिरा गांधी खेल परिसर में उद्घाटन के उपरांत यह विचार व्यक्त किए।


उन्होंने बताया कि प्रदेश में 89 फीसदी बुनकर इस क्षेत्र में अंशकालिक रूप में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में हथकरघा क्षेत्र में लगे 13572 परिवारों में से 13260 हथकरघा ग्रामीण क्षेत्र से है, जिनमें अधिकांश कारीगर महिलाएं हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के समय में हथकरघा बुनकरों को प्रोत्साहन प्रदान करने तथा समृद्ध विरासत को बनाए रखने और इनकी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए नाबार्ड व अन्य संस्थानों को आगे आना होगा।


उन्होंने बताया कि प्रदेश में बुनकर संस्थानों को मजबूत करने का प्रयास किया जा रहा है। पारम्परिक बुनाई के डिजाइनों को संरक्षित करने के साथ-साथ हथकरघा बुनकरों के लिए नवीनतम विपणन और उपभोक्ता प्रतिक्रिया को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कार्य किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि गत तीन वर्षों में नाबार्ड ने देश में लगभग 5 हजार कारीगरों को शामिल करते हुए 40 आॅफ फार्म उत्पादक संगठनों को बढ़ावा देने के लिए सहायता प्रदान की है। हिमाचल प्रदेश में नाबार्ड लगभग 1300 कारीगरों को शामिल करते हुए मण्डी और किन्नौर जिलों में हथकरघा गतिविधियों में 2 आॅफ फार्म उत्पादक संगठनों को गठित करने की प्रक्रिया में है।

उन्होंने बताया कि हाल के वर्षों में नाबार्ड ने ग्रामीण हाट, ग्रामीण मार्ट जैसी विपणन पहलों को भी बढ़ाया है, जिससे इस क्षेत्र में लोगों को लाभ मिला है।मुख्य महा प्रबंधक नाबार्ड दिनैश रैना ने अपने स्वागत संबोधन में बताया कि नाबार्ड का उद्देश्य अंतिम पंक्ति में कार्य करने वाले व्यक्ति के विकास के प्रति सतत् रूप से कार्य करना है। उन्होंने कहा कि गांव बढ़े तो देश बढ़े के उद्देश्य की पूर्ति के लिए नाबार्ड द्वारा सघनता से कार्य किया जाता है।


उन्होंने कहा कि देश में 102 लाख स्वयं सहायता समूह का गठन कर ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र विकास में नाबार्ड द्वारा योगदान प्रदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में भी लगभग 60 हजार समूह को गठन किया गया है। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी में हिमाचल प्रदेश के लगभग 12 स्वयं सहायता समूह तथा हथकरघा कारीगर भाग ले रहे हैं, जिसमें चम्बा, कुल्लू, मण्डी व शिमला के बुनकर शामिल है।


डाॅ. सुधांशु के.के.मिश्रा महा प्रबंधक नाबार्ड ने सभी से प्रदर्शनी में पधारने औश्र ग्रामीण अंचलों से आए हुए हथकरघा कारीगरों द्वारा तैयार किए जा रहे उत्पाद को खरीद कर उन्होंने उनका मनोबल बढ़ाने का आग्रह किया।

इस अवसर पर नगर निगम शिमला महापौर सत्या कौंडल, युवा जागृति संगठन के निदेशक सुशील शर्मा, परियोजना निदेशक ललित ठाकुर, उप महा प्रबंधन आरबीआई पितांबर अग्रवाल, राज्य स्तरीय बैंकर समिति यूको बैंक के उप महा प्रबंधक पीके शर्मा, पंजाब नेशनल बैंक के महा प्रबंधक प्रमोद दुबे, काॅपरेटिव बैंक के महा प्रबंधक श्रवण कुमार मांटा, सहायक महा प्रबंधक अनिल गर्ग, हिमाचल प्रदेश हस्तशिल्प व हथकरघा निगम के महाप्रबंधक योगेश गुप्ता तथा सहायक महा प्रबंधक नाबार्ड संजीव शर्मा भी उपस्थित थे।

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