जिला बिलासपुर में नीली क्रांति योजना वरदान साबित हुई *** योजना ने मछुआरों व मत्स्य कृषकों की आर्थिक उन्नति और जीवन स्तर में सुधार लाने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
बिलासपुर / 19 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत न्यूज़
जिला में मछली पकड़ने व मछली पालन व्यवसाय से जुड़े हजारों व्यक्तियों को अजीविका के बेहतर अवसर प्रदान कर उनके आर्थिक विकास के साथ-साथ उनके जीवन स्तर में सुधार के लक्ष्य को केंद्र में रख कर विभाग निरंतर अथक प्रयास कर रहा है। जिला बिलासपुर में मत्स्य पालन विभाग की विभिन्न गतिविधियों व अनेक जन कल्याणकारी योजनाओं को जन-जन तक पहुँचाने का उतरदायित्व सहायक निदेशक मत्स्य, मत्स्य मण्डल बिलासपुर पकर रहें है। सम्पूर्ण देश में मौजूद सभी जल संसाधनों का विवेकपूर्ण दोहन कर मत्स्य उत्पादन को बढ़ाकर देश में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के उद्देश्य को प्राप्त करने के साथ-साथ मछली पालकों व मछली पकड़ने वालों की आर्थिक
समृद्धि के उद्देश्य से वर्ष 2016 में भारत में नीली क्रांति मिशन का आगाज हुआ।
जिला बिलासपुर में 2500 मछुआरे व 100 मत्स्य पालक इस व्यवसाय से जुड़े हुए है। इस केंद्र प्रायोजित योजना के सफल क्रियान्वयन से मछुआरों व मत्स्य कृषकों के जीवन में अमूल्य परिवर्तन हुआ है। जिला बिलासपुर में नीली क्रांति योजना के अंतर्गत मछुआरों व मत्स्य कृषकों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही है। मत्स्य संरक्षण को ध्यान में रखते हुए तथा प्राकृतिक प्रजनन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में प्रति वर्ष दो माह (16 जून से 15 अगस्त) तक वर्जित काल लगाया जाता है।
इस अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की मत्स्य गतिविधियों पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहता है। इस व्यवसाय से संबंधित लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव से बचाने हेतु वर्जित काल राहत राशि
योजना चलाई गई। इस योजना के अंतर्गत जलाशय का लाइसेंसधारी व्यक्ति वर्जित काल के अलावा प्रति माह 100 रु. की बचत कर 1000 रु. जमा करवाता है जिसमें 80ः20 की दर से जिसमें केंद्र सरकार 1600 रुपये तथा राज्य सरकार द्वारा 400 रुपये का अनुदान प्रदान किया जाता है।
परिणामस्वरूप, वर्जित काल के दौरान मछली न पकड़ पाने के बावजूद भी मछुआरों को अपनी गुजर बसर करने में मदद मिलती है। बर्ष 2018-19 में 997 तथा 2019-20 में 1723 लाभार्थियों ने
जिला बिलासपुर में इस योजना का लाभ उठाया। प्रत्येक व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना पक्का मकान हो लेकिन सभी इतने भाग्यशाली नहीं होते कि वे अपने इस सपने को पूरा कर सकें। मछली पकड़ने के व्यवसाय से जुड़े अधिकतर लोग बेहद गरीब होते हैं। कुछ मछुआरे तो
अपनी मूलभूत आवश्यकताओं जैसे पक्के आवास की सुविधा से भी महरूम हैं। इसी को ध्यान में रख कर नीली क्रांति योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री आवास योजना के अधीन जलाशय के ऐसे सक्रिय मछुआरे जिनके पास अपना पक्का मकान नहीं है, के लिए मछुआरा आवास योजना चलाई गई है।
यह एक पूर्ण रूप से केंद्र प्रायोजित स्कीम है। इस योजना के तहत भवन निर्माण हेतु 1 लाख 30
हजार रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है। जिला बिलासपुर में वर्ष 2018-19 में कुल 95 व वर्ष 2019-20 में कुल 104 मछुआरों ने इस योजना का लाभ उठाकर अपने पक्के मकान के सपने को साकार किया। नीली क्रांति योजना के अंतर्गत जलाशय के मछुआरों के लिए किश्ती, जाल व
अन्य उपकरण उपलब्ध करवाने हेतु अनुदान दिया जाता है। योजना के अंतर्गत कुल अनुमानित लागत 1 लाख रुपये पर सामान्य जाति के पुरुषों को 40 प्रतिशत तथा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जाति व महिलाओं को 60 प्रतिशत का अनुदान दिया जाता है। वर्ष 2018-19 में अनुसूचित जाति के 5, 20 महिलाओं व सामान्य जाति के 65 लाभार्थियों को इस योजना के तहत लाभान्वित करके 41
लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया गया। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य कृषकों को नए तालाब निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नीली क्रांति योजना के अंतर्गत एक योजना
क्रियान्वित की गई।
इस योजना के तहत मत्स्य पालन के लिए तालाब निर्माण हेतु कुल इकाई अनुमानित लागत 7 लाख रुपये प्रति हैक्टेयर की दर से सामान्य जाति के पुरुषों के लिए 40 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 6.72 लाख व वर्ष 2019-20 के दौरान 2.10 रुपये लाख का अनुदान प्रदान किया गया। नीली क्रांति योजना के अंतर्गत रियरिंग तालाब निर्माण हेतु कुल अनुमानित परियोजना लागत 6.0 लाख प्रति हैक्टेयर की दर से सामान्य जाति के पुरुषों के लिए 40 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं के लिए 60
प्रतिशत दर से अनुदान प्रदान किया गया। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 1 हैक्टेयर जल क्षेत्र के लिए कुल 2 लाख 40 हजार का अनुदान प्रदान किया गया।
इसके अतिरिक्त नए व मुरम्मत किए गए तालाबों में प्रथम बर्ष में मछली बीज, मत्स्य आहार, खाद व दवाइयाँ इत्यादि डालने के लिए कुल परियोजना अनुमानित लागत 1.5 लाख प्रति हैक्टेयर की दर से सामान्य जाति के पुरुषों के लिए 40 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया जाता है। वित वर्ष 2018-19 के दौरान कुल 45 लाख रुपये व वर्ष 2019-20 के दौरान 45 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया गया।
मछली उत्पादन में बढौतरी के लिए गुणवतायुक्त बीज की उपलब्धता आवश्यक है। इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु मत्स्य कृषकों को मत्स्य बीज हैचरी स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से नीली क्रांति योजना के अंतर्गत एक योजना क्रियान्वित की गई। इस योजना के तहत हैचरी निर्माण हेतु
कुल अनुमानित परियोजना लागत 25 लाख रुपये लाख प्रति दो हैक्टेयर की दर से सामान्य जाति के पुरुषों के लिए 40 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व महिलाओं के लिए 60 प्रतिशत की दर से अनुदान प्रदान किया गया। वित्त बर्ष 2016-17 के दौरान कुल 20 लाख रुपये अनुदान प्रदान किया गया। मछली की अच्छी पैदावार के लिए गुणवतायुक्त मत्स्य बीज के साथ-साथ अच्छे
आहार की भी आवश्यकता होती है।
मत्स्य कृषकों को उनके घर-द्वार गुणवतायुक्त आहार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से नीली क्रांति योजना के अंतर्गत मत्स्य आहार यूनिट स्थापित करने हेतु कुल परियोजना लागत 10 लाख प्रति यूनिट पर 50 प्रतिशत की दर से अनुदान दिया गया। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान जिला बिलासपुर में एक इकाई की स्थापना के लिए 5 लाख रुपये का अनुदान प्रदान किया गया। नीली क्रांति योजना मात्स्यिकी के लिए एक वरदान साबित हुई है। जलाशय के मछुआरों के साथ-साथ मत्स्य कृषकों की आर्थिक उन्नति और जीवन स्तर में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना ने वास्तव में अपने उद्देश्यों को पूरा किया है तथा यह योजना सफलता का आसमान छू रही है।
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