टांडा में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुसंधान पद्धति और वैज्ञानिक तकनीक पर कार्यशाला का आयोजन

टांडा में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुसंधान पद्धति और वैज्ञानिक तकनीक पर कार्यशाला का आयोजन
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पहली बार टांडा में जुटे उत्तरी भारत के प्रमुख मैडिकल कालेज के 70 संकाय के सदस्य व वैज्ञानिक
कांगड़ा, 7 सितंबर/ रितेश
डा राजेन्द्र प्रसाद आयरुविज्ञान महाविद्यालय टांडा में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के सहयोग से स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पैथोलॉजी विभाग द्वारा अनुसंधान पद्धति और वैज्ञानिक पेपर लेखन तकनीकों पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था। दो दिवसीय कार्यशाला का उद्देश्य भारत के उत्तरी भाग में महत्वपूर्ण अनुसंधान प्राथमिकताओं की पहचान करना था। दो दिवसीय कार्यशाला में स्वास्थ्य अनुसंधान से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श किया और विभिन्न संकाय के विशेषयज्ञों ने अपने विचार रखे। डा राजेन्द्र प्रसाद आयरुविज्ञान महाविद्यालय टांडा के लिए भी यह बहुत बड़ी उपलब्धि है कि टांडा में पहली बार उत्तरी भारत के प्रमुख मैडिकल कालेज के 70 संकाय के सदस्य व वैज्ञानिक उपस्थित थे। इस कार्यशाल का शुभारंभ स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग भारत सरकार के संयुक्त सचिव गीता नारायण व संस्थान के प्राचार्य डा भानू अवस्थी ने किया। कार्यशाला में उत्तरी भारत के इन मेडिकल कॉलेजों के न्यूरोलॉजी, मेडिसन, सर्जरी, कम्युनिटी मेडिसन, बायोकेमिस्ट्री, ऑर्थोपेडिक्स, फिजियोलॉजी, ईएनटी और साइकियाट्री आदि विभागों के विशेषज्ञों शामिल थे जबकि एम्स-नई दिल्ली, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग, भारत सरकार के स्वास्थ्य विभाग विभिन्न संकाय विशेषज्ञ भी शामिल थे। इस अवसर पर टांडा मैडिकल कालेज के प्राचार्य डा भानू अवस्थी ने मेडिकल कॉलेजों में शोध करने की चुनौतियों पर भी अपनी बात कही। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डा गुरूदर्शन गुप्ता ने सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली में अनुसंधान की प्रासंगिकता पर अपने विचार रखे। डीएचआर के पूर्व सचिव
डॉ वीएम कटोच ने रिसर्च में एथिक्स पर बात की और हेल्थ रिसर्च के लिए फंडिंग के मौके दिए जाने की वकालत की। डॉ कामेश्वर प्रसाद ने सिस्टेमैटिक रिव्यू और मेटा-एनालिसिस में स्टडी डिजाइन और कॉन्सेप्ट पर बातचीत की। एम्स नई दिल्ली से आये डॉ पीयूष साहनी ने एक अच्छे शोध प्रस्ताव के निरूपण और महत्व पर अपने विचार रखे। एम्स दिल्ली से प्रो आरएम पांडे ने बायोस्टैटिस्टिक्स की विभिन्न अवधारणाओं पर विस्तृत व्याख्यान दिया जबकि डॉ नसरीन जेड एहतेशाम ने गैर-संचारी रोगों में लैब आधारित शोध पर बात की। आईसीएमआर के डॉ आरएस धालीवाल ने गैर-संचारी रोगों में अनुसंधान प्राथमिकताओं पर विचार रखे। विशेषज्ञों के पैनल में गीता नारायण संयुक्त सचिव स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग भारत सरकार, डॉ भानु अवस्थी प्राचार्य डा राजेन्द्र प्रसाद आयरुविज्ञान महाविद्यालय टांडा, डॉ कामेश्वर प्रसाद एम्स नई दिल्ली, डॉ पीपल साहनी, संपादक, नेशनल मेडिकल जर्नल और फैकल्टी एम्स नई दिल्ली, डा आरएम पांडे प्रोफेसर और प्रमुख बायोस्टैटिस्टिक्स एम्स-नई दिल्ली, डॉ नसरीन जेड एहतेशाम निदेशक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पैथोलॉजी नई दिल्ली, डॉ आशू ग्रोवर वैज्ञानिक ई, आईसीएमआर-नई दिल्ली डॉ आरएस धालीवाल, वैज्ञानिक जी आईसीएमआर नई दिल्ली, डॉ एनसी जैन वैज्ञानिक जी आईसीएमआर नई दिल्ली और डॉ सुनील रैना प्रोफेसर और प्रमुख सामुदायिक चिकित्सा डीआरपीजीएमसी टांडा शामिल थे। अंत में प्रोफेसर अवस्थी ने अपने वैधानिक संबोधन में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के प्रति आभार व्यक्त किया तथा इस तरह की कार्यशालाओं के माध्यम से देश भर के संकाय सदस्यों में शोध के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए कदम उठा रहे हैं।
फोटो कैप्शन: 7 केजीआर 2: कार्यशाला में उपस्थित वैज्ञानिक, विभिन्न मैडिकल कालेज संकाय के सदस्य व अन्य पदाधिकारी