नालागढ़ / 10 जून / न्यू सुपर भारत
बन मंडल नालागढ़ द्वारा गत 2 वर्षों में वन भूमि से अवैध कब्जों को हटाने की प्रक्रिया को युद्ध स्तर पर अमलीजामा पहनाया गया तथा अवैध कब्जा धारकों पर त्वरित कार्रवाई करते हुए वन मंडल नालागढ़ के अंतर्गत 67 हेक्टेयर वन भूमि पर से अतिक्रमण हटाया गया। यह जानकारी उप अरनयपाल एवं वन मंडलाधिकारी नालागढ़ यशुदीप सिंह ने दी है।
उप अरनयपाल वन मंडल नालागढ़ ने बताया कि उक्त भूमि पर 36 अवैध कब्जा धारियों ने खेती के अलावा अवैध निर्माण इत्यादि का कार्य किया जा रहा था जिसे क्षेत्र में कार्यरत वन विभाग के अधिकारियों द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए खाली करवाया गया है।
यशुदीप सिंह ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि वन खंड अधिकारी सैनी माजरा द्वारा अपनी टीम सहित वर्ष 2019-20 ने मगनपुरा, बीड प्लासी तथा सैनी माजरा क्षेत्रों में वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण के 29 मामलों का निपटारा किया तथा 46 हेक्टेयर वन भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाया।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार ढेरोंवाल वन क्षेत्र में अतिक्रमण के 17 मामलों का निपटारा किया गया तथा 21 हेक्टेयर वन भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करवाया तथा उसमें चैन लिंक फेंसिंग की गई। वन मंडलाधिकारी नालागढ़ ने जानकारी दी कि गत 2 वर्षों के दौरान 36 अवैध कब्जा धारकों से मुक्त करवाई गई 67 हेक्टेयर वन भूमि पर गत 2 वर्षों के दौरान विभिन्न किस्मों के 34600 पौधे लगाए गए।
यशुदीप सिंह ने बताया कि वन मंडल नालागढ़ के अंतर्गत वन भूमि पर अतिक्रमण के लगभग 6 बीघा भूमि से संबंधित 6 मामले डीएफओ कोर्ट नालागढ़ में लंबित हैं। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही इन मामलों पर भी निष्कासन आदेश जारी करने के उपरांत अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को अमल में लाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गत 2 वर्षों के दौरान वन भूमि पर से अवैध कब्जों को हटाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले सोमनाथ वन खंड अधिकारी सैनी माजरा तथा तरसेम लाल वनरक्षक वीर क्लासिको विभाग की ओर से प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए हैं।
डीएफओ नालागढ़ ने बताया कि औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन व आसपास के क्षेत्रों में औद्योगिकरण के कारण भूमि की कमी तथा इसकी बढ़ती कीमतों की वजह से वन भूमि पर अवैध कब्जों के अधिक मामले पाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि वन विभाग द्वारा अवैध कब्जा धारकों पर सख्त एवं त्वरित कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने क्षेत्र वासियों से अपील की कि वे वन भूमि पर किसी भी रूप में अतिक्रमण न करें अन्यथा वन विभाग द्वारा भारतीय वन अधिनियम 1927 सहित विभिन्न कानूनों के अंतर्गत सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।