जब तक ईश्वर का सानिध्य नहीं मिलता तब तक अभावों से मुक्ति नहीं हो सकती : अतुल कृष्ण जी महाराज

ऊना / 08 फरवरी / राजन चब्बा /
यह चिंतन का विषय हैं कि चित्त में अशांति या आभाव का क्या कारण हैं. क्या हम अनेक प्रकार के अभावों से घिरे हुए हैं. वह कौन सी वस्तु है जिसके प्राप्त होते ही हमारे सारे आभाव मिट जायेंगे. निश्चय ही इस प्रश्न का उत्तर होगा परमात्मा. जब तक ईश्वर का सानिध्य नहीं मिलता तब तक अभावों से मुक्ति नहीं हो सकती.
उक्त अमृतवचन श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण जी महाराज ने ठाकुरद्वारा, बढेड़ा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मुक्ति का शंखनाद है. अपने अन्तःकरण में उत्पन्न परमात्मा की आवाज हमें अवश्य सुननी चाहिए. सर्व साक्षी रूप प्रभु सबके दिल में बैठा है. हमारे निर्णय, कार्य, भावना के साथ सहमति या असहमति का स्वर वह अवश्य देता है. हम उसके स्वर को सुने, समझें और अपने उज्ज्वल भविष्य के लिए आगे बढ़ें. हम अपने भाग्य के विधाता स्वयं ही हैं. किसी को व्यर्थ दोष देना उचित नहीं.
महाराजश्री ने कहा कि जो ईश्वर घट में है वही बाहर है. मछली तभी तक स्वतंत्र है जब तक कांटे में लगे स्वादिष्ट पदार्थ से दूर है. वह जब कांटे में लगे पदार्थ का स्वाद लेने को तत्पर होती है तो अपने प्राण गंवा कर नाश को प्राप्त हो जाती है. इसी प्रकार पतंगा दीपक के दृश्य सुख में आसक्त होकर अपना अंत कर लेता है. हमें सदैव याद रखना चाहिए कि संसार के सभी विषय कालरूप ही हैं. आज कथा में पूतना वध, शकटासुर-तृणावर्त उद्धार, मृदाभक्षण, माखन चोरी की लीला, कालिय नाग का मर्दन एवं गोवर्धन धारण का प्रसंग लोगों ने अत्यंत श्रद्धा से सुना. इस अवसर पर भगवान को छप्पन भोग भी अर्पित किया गया.