प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं: जयराम ठाकुर

मंडी / 22 नवंबर / राजन पुंछी //
हिमाचल प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं है। सरकार को जो काम करने चाहिए थे वो काम कोर्ट कर रही है । हालात ऐसे हो गए हैं कि जिस तरह से कोर्ट के फैसले आ रहे हैं, सरकार का काम कोर्ट ही कर रहा है। नेतृत्व में परिपक्वता न होना, जल्दबाजी में फैसले करने की वजह से स्थिति बन गई है, प्रदेश की बहुमूल्य संपतियां गिरवी रखने की नौबत आ गई है। हिमाचल प्रदेश सिर्फ सत्ता पक्ष का नहीं है, ये हमारा है, हम सबका है। आर्थिक हालात को लेकर जैसी चिंता सरकार को है वैसी हम सबको भी है। प्रदेश में आज यह हालत हो गई है कि सरकार की प्राथमिकता ही मात्र सरकार और सीपीएस को बचाने की रह गई है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु केवल अपनी कुर्सी बचाने में लगे हैं जबकि प्रदेश में विकास ठप्प पड़ा हुआ है। शुक्रवार को सर्किट हाउस में पत्रकार वार्ता करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार चलाने की स्थिति में नहीं है। कोरोना के दौर में भी भाजपा ने किसी सरकारी विभागों की संपत्ति को अटैच नहीं किया और न ही निजी क्षेत्र में सौंपा जबकि कांग्रेस ने कोर्ट के आदेशों पर प्रदेश हित में अपील तक नहीं की।
वहीं दूसरी ओर अपने चहेते सीपीएस की कुर्सियां बचाने के लिए दिल्ली तक वकीलों की फौज खड़ी कर सरकारी पैसों की बर्बादी की जा रही है। दिल्ली से शिमला तक वकील स्टेट गेस्ट बनाकर लाये जा रहे हैं लेकिन बाबजूद सरकार आज अपने सीपीएस नहीं बचा सकी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इन्हें हटाने पर अब मोहर लगा दी है जबकि हम पहले दिन से कह रहे थे कि ये नियुक्तियां गैरसंवैधानिक है। बाबजूद इसके सरकार इनको बचाने में ही लगी हुई है जिससे राज्य के पैसों की बर्बादी हो रही है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि जिस तरह से कोर्ट ने हालही में अपने फैसले सुनाए हैं इससे यह लगता है कि कांग्रेस सरकार चलाने में असमर्थ है और कोर्ट को ही प्रदेश हित में फैसले लेने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने झूठ बोलने की सारी सीमाएं लांघते हुए दुसरे राज्यों में हो रहे चुनावों में भी हिमाचल प्रदेश में दस गारंटीयां पूरी करनी की बातें कहीं हैं जो शर्मसार करने वाली हैं।जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार प्रदेश को नीलाम करने पर तुली हुई है। जिस तरह से हिमाचल सदन को अटैच किया गया वो दुर्भाग्यपूर्ण है।
आज हैरानी तो इस बात को लेकर है कि जो टूरिज्म के प्रॉफिट वाले होटल हैं उन्हें भी घाटे में दर्शा कर नीलाम किया जा रहा है। शिमला, मनाली और धर्मशाला में टूरिज्म के ऐसे होटल हैं जो फायदे में चल रहे हैं और उन्हीं के दम पर दूसरे होटलों के खर्चे भी निकलते हैं लेकिन आज उन्हें भी घाटे का बताया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने ऐसा क्यों किया, यह सच्चाई लोगों के सामने आनी चाहिए।