खेतों में पराली न जले, इसके लिए प्रशासन बेहद गंभीरता से कर रहा है कार्य : डीसी

टोहाना / 5 नवम्बर / न्यू सुपर भारत
उपायुक्त महावीर कौशिक ने शुक्रवार को स्थानीय किसान रेस्ट हाऊस टोहाना में पराली प्रबंधन के लिए ग्राम स्तर पर गठित की गई जाखल व टोहाना की टीम को संबोधित किया। इस दौरान कृषि विभाग, रिवेन्यू विभाग, पंचायत विभाग और पुलिस विभाग के संबंधित अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग द्वारा पराली प्रबंधन के लिए किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पराली खेतों में न जले इसके लिए प्रशासन बेहद गंभीरता से कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से बढ़ रहा प्रदूषण बेहद चिंता का विषय है और प्रदूषित जहरीली हवा के कारण मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ पशुओं के लिए भी घातक है। पराली प्रबंधन के लिए गांव स्तर, ब्लॉक स्तर व उपमंडल स्तर पर टीमें गठित की हुई है।
उन्होंने कहा फतेहाबाद जिले में लगभग 60 प्रतिशत धान की कटाई हो चुकी है और 40 प्रतिशत धान की कटाई बाकी रहती है। उन्होंने कहा कि किसानों को पराली प्रबंधन बारे जागरूक किया जाए और समझाएं जो सरकार द्बारा पराली प्रबंधन के लिए उपकरण उपलब्ध करवाये जा रहे उनका उपयोग करे। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा 2 से 6 नवंबर तक दोबारा पोर्टल खोला गया है अगर किसी भी व्यक्ति या सीएचसी को उपकरण की जरूरत है तो आवेदन कर सकता है।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए अनेक कृषि यंत्र उपलब्ध करवाए जा रहे हैं तथा इन पर व्यक्तिगत श्रेणी में 50 प्रतिशत व ग्रुप में 80 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। उन्होंने कहा फतेहाबाद जिला में अभी तक 93 एफआईआर दर्ज हो चुकी है और दो लाख 52 हज़ार रुपये का जुर्माना लगाया जा चुका है। उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान पराली की गांठे बनवाता है तो उसे एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जा रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि पराली जलाने से हवा में घुलकर धुंआ जहरीला हो जाता है, जिससे बच्चों, बुजुर्गो, महिलाओं एवं खासकर दमा एवं ह्दय के रोगियों को काफी परेशानी होती है। दूषित वातावरण से आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत व अन्य परेशानियां होती है। उन्होंने कहा कि पराली जलाना समाधान नहीं है, इसका प्रबंधन किया जाना चाहिए। पराली जलाने से जहां वातावरण दूषित होता हैं वहां खेत की जमीन को भी हानि पहुंचती है।