राज्यपाल ने प्रदेशवासियों से प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का आह्वान किया
शिमला / 28 जुलाई / न्यू सुपर भारत न्यूज़
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी। उन्होंने राज्य के लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि प्रदेशवासियों को प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में योगदान देना चाहिए और इसके प्रति जागरूकता बढ़ानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया कई संकटों का सामना कर रही है, जोकि पर्यावरण संरक्षण की कमी और प्राकृतिक संसाधनों के अनावश्यक उपयोग के कारण हैं। महामारी के इस समय में यह और अधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि हम प्रकृति के करीब आएं और प्रकृति के साथ समरसता से रहें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की रक्षा करना हमारा सामाजिक दायित्व है, जोकि इस महामारी के दौरान विशेष रूप से हमारे जीवन को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस यह रेखांकित करता है कि स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और उत्पादक समाज की नींव है और वर्तमान और यह भविष्य की पीढ़ियों की भलाई सुनिश्चित करता है। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपने प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा, संरक्षण और निरंतर प्रबंधन के प्रयास करने चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए बेहतर कार्यों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए क्योंकि हमारी पृथ्वी में असीमित मात्रा में संसाधन नहीं हैं, जिनकी हमें आवश्यकता है जैसे पानी, पेड़, मिट्टी इत्यादि। यह समय की मांग है कि हम समझें कि कि स्वच्छ वातावरण, स्वस्थ लोगों और उत्पादक समाज के लिए न केवल हमारे जीवनकाल बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न सरकारी विभाग जैसे वन तथा पर्यावरण, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और कई गैर सरकारी संगठन प्रकृति के संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश समुद्र तल से 350 मीटर से 6,975 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिसे प्रकृति ने अत्यधिक विविधता से नवाजा है। राज्य का कुल वन क्षेत्र इसके भौगोलिक क्षेत्र का 66.52 प्रतिशत है जो विभिन्न प्रकार के जीवों का आवास है। हिमाचल में सबसे समृद्ध वनस्पतियां और जीव सम्पदा है। राज्य के विभिन्न भागों में प्राकृतिक रूप से सैकड़ों औषधीय पौधे उगते हैं और हिमाचल के किसान उच्च जैव-विविधता बनाए हुए हैं।
उन्होंने लोगों से प्रतिदिन उपयोग होने वाले संसाधनों की सुरक्षा, संरक्षण एवं सतत प्रबन्धन के लिए लोगों को सामूहिक भागीदारी के लिए आग्रह किया। उन्हांेने रोजाना उपयुक्त होने वाली वस्तुओं, भोजन तथा जल का दुरूपयोग न करने को कहा। उन्होंने कहा कि बिजली, पंखा और वातानुकूलक का उपयोग न होने पर इसे बंद रखें। उन्होंने वर्षा जल संग्रहण और सब्जियों के छिलकों से खाद तैयार करने पर भी बल दिया। उन्होंने जिन लोगों के पास भूमि उपलब्ध है, उन्हें दैनिक उपयोग की जड़ी-बुटियां और सब्जियां उगाने का सुझाव दिया।