जिला मंडी में सायर उत्सव की धूम, देवालयों के भी खुले कपाट

जिला मंडी में सायर उत्सव की धूम, देवालयों के भी खुले कपाट

मंडी/ रिवालसर 17 सितंबर( लक्ष्मीदत्त शर्मा) :
अश्विन महीने की सक्रांति के उपलक्ष्य में मनाया जाता जाने वाला सायर उत्सव बल्ह क्षेत्र सहित पूरे जिला मंडी में धूमधाम से मनाया गया। इसके साथ ही आज से वर्षा ऋतु खत्म और शरद ऋतु का आगाज भी हो गया। इसके साथ भादो महीने में बंद हुये देवालयों के कपाट भी खुल गये। आज से खरीफ की फसल व घास कटाई का काम भी शुरु हो जाएगा । सायर को समर्पित आज के दिन पूरे जिला में लोगों ने अपनी फसलों का अंश, विभिन्न प्रकार के पकवान व मौसमी फल जिसमें विशेष रूप से अपने खेतों में लगा खीरा, गलगल, साबुत मक्की, पैठू, अखरोट,धान सहित अन्य जड़ी बूटियों की पूजा अर्चना की, इसके साथ अपनी कलाई में बंधी राखियाँ उतार कर सैरी माता को समर्पित की। वहीं लोगों ने एक दूसरे को अखरोट व द्रुब देकरबड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद भी लिया इस दौरान दिनभर (खोड़- खाती ) के खेल का आनंद लेते हुये बच्चों व नोजबानों को देखा गया।

सायर उत्सव की यह भी है मान्यता–
मान्यताओं के अनुसार भादों महीने के दौरान देवी-देवता आसुरी शक्तिओं से युद्ध लड़ने चले जाते हैं। वे सायर के दिन वापस अपने देवालयों में आ जाते हैं। इस दिन ग्रामीण क्षेत्रों के देवालयों में देवी-देवता के गूर देव खेल के माध्यम से लोगों को देव- आसुरी शक्तिओं के युद्ध का हाल बताते हैं और यह भी बताते हैं कि इसमें किस पक्ष की विजय हुई है। वहीं बरसात के मौसम में किस घर के प्राणी पर बुरी आत्माओं का साया पड़ा है। देवता का गूर इसके उपचार के बारे में भी बताता है। सायर के दिन ही नव दुल्हनें मायके से ससुराल लौट आती हैं। ऐसी मान्यता है कि भादों महीने के दौरान विवाह के पहले साल दुल्हन सास का मुंह नहीं देखती है। ऐसे में वह एक महीने के लिए अपने मायके चली जाती है।