आईजीएमसी शिमला के चिकित्सा अधीक्षक की कार्यप्रणाली के खिलाफ सीटू जिला कमेटी शिमला द्वारा विरोध प्रदर्शन

आईजीएमसी शिमला के चिकित्सा अधीक्षक की कार्यप्रणाली के खिलाफ सीटू जिला कमेटी शिमला द्वारा विरोध प्रदर्शन

शिमला / कमल :
सीटू जिला कमेटी शिमला के आह्वान पर आईजीएमसी शिमला के चिकित्सा अधीक्षक की कार्यप्रणाली के खिलाफ सीटू जिला कमेटी शिमला द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया। सीटू जिला कमेटी ने चेताया है कि अगर आईजीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक व अराजक तत्वों ने अपनी कार्यप्रणाली न बदली व मजदूरों को तंग करना बन्द न किया तो सीटू आईजीएमसी में अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू कर देगा।
सीटू जिला कमेटी उपाध्यक्ष किशोरी ढटवालिया,विनोद बिरसांटा,जिला सचिव बालक राम,हिमी देवी,रामप्रकाश,राकेश कुमार,जिला कोषाध्यक्ष रमाकांत मिश्रा,आईजीएमसी यूनियन अध्यक्ष विरेन्द्र लाल व महासचिव नोख राम ने संयुक्त प्रेस वक्तव्य जारी करके प्रदर्शन के दौरान सीटू राज्याध्यक्ष विजेंद्र मेहरा पर सुनियोजित हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने आईजीएमसी व पुलिस प्रशासन से आईजीएमसी के पर्ची काउंटर के सामने वाले दरवाजे पर सीटू राज्याध्यक्ष पर हुए हमले पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच के लिए सभी सीसीटीवी वीडियो फुटेज कब्जे में लिए जाएं। उन्होंने कहा कि पिछले काफी महीनों से आईजीएमसी शिमला में रेनबो सिक्योरिटी सर्विस का प्रबंधन व उनके संरक्षण में रेनबो सिक्योरिटी के चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर भीम सिंह गुलेरिया व सुरक्षा कर्मचारी देवराज बबलू व प्रवीण कुमार सहित कुछ सुरक्षा कर्मचारी आईजीएमसी में लगातार गुंडागर्दी व अराजकता फैला रहे हैं। इस संदर्भ में सीटू जिला कमेटी ने 21 जून 2019 को चिकित्सा अधीक्षक से मुलाकात करके पूरे मसले की शिकायत की थी। उसके उपरांत भी टेलीफोन के माध्यम से सीटू राज्य नेतृत्व ने इस संदर्भ में उन्हें बार-बार सूचित किया था। इतनी बार शिकायत करने के बावजूद भी चिकित्सा अधीक्षक ने इन घटनाओं का कोई संज्ञान नहीं लिया जिस कारण यह गुंडागर्दी व अराजकता उनके संरक्षण में लगातार बढ़ती गयी। चिकित्सा अधीक्षक अराजकता व गुंडागर्दी के सूत्रधारों को इसलिए संरक्षण देते रहे हैं क्योंकि ये सभी उनके निजी पारिवारिक कार्य करते हैं। उनके लिए न तो डयूटी रोस्टर के अनुसार डयूटी तय होती है और न ही ये वर्दी पहनते हैं। चिकित्सा अधीक्षक के संरक्षण में ही इन कुछ अराजक कर्मचारियों नेे आईजीएमसी के एक कमरे पर गैर कानूनी कब्जा किया हुआ है जबकि किसी भी ठेका मजदूर को इस तरह का कमरा नहीं मिल सकता है। चिकित्सा अधीक्षक के ही संरक्षण में ये कुछ सुरक्षा कर्मचारी कभी भी अपनी डयूटी नहीं करते हैं। इस संरक्षण के कारण ही ये सुरक्षा कर्मचारी रेनबो प्रबंधन व ईसीजी ठेकेदारों के साथ मिलकर लगातार मजदूरों को नौकरी से निकलते रहे हैं। सिक्योरिटी के दर्जनों मजदूरों,ईसीजी के तीन कर्मचारियों व सुरक्षा कर्मचारी संदीपा को नौकरी से निकालने के मामले इस सबके उदाहरण हैं। दिनांक 15 सितंबर 2019 की सुरक्षा कर्मचारी संदीपा के साथ मारपीट की घटना भी इसी क्रम का एक हिस्सा है।
प्रदर्शन के दौरान महिला सुरक्षा कर्मचारियों संदीपा,रीता,हेमलता,सुरेन्द्रा,नीलम,मीरा आदि ने आईजीएमसी के प्रधानाचार्य के समक्ष रोकर अपनी व्यथा सुनाई कि चिकित्सा अधीक्षक के संरक्षण में कुछ अराजक सुरक्षा कर्मचारियों द्वारा उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्होंने प्रधानाचार्य व चिकित्सा अधीक्षक को एक ऑडियो भी सुनवाया जिसमें देवराज बबलू कह रहा है कि मैं कुछ लड़कियों को आगे करके सीटू नेताओं को झूठे मुकद्दमों में फंसा दूंगा। यह सब चिकित्सा अधीक्षक के संरक्षण व शह के बिना सम्भव नहीं है। उन्होंने प्रधानाचार्य को कहा कि ये अराजक तत्व श्रम विभाग में हमारी पैरवी कर रहे सीटू नेताओं को कुछ लड़कियों को आगे करके झूठे मुकद्दमों में फंसा सकते हैं क्योंकि यह बात ऑडियो से स्पष्ट हो गयी है अतः इन पर साज़िश रचने व अराजकता फैलाने के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। इस दौरान विधवा महिला व सिंगल लेडी संदीपा जिसके 6 व 8 साल के छोटे बच्चे हैं व जिसे जबरन नौकरी से निकाल दिया गया है,उस पर इन अराजक तत्वों ने हमला कर दिया जिस से वह बेहोश होकर गिर गयी।
इस दौरान प्रधानाचार्य के हस्तक्षेप के बाद डॉ राहुल गुप्ता को डयूटी रोस्टर बनाने की जिम्मेवारी सौंपी गई ताकि सारे विवाद पर ही अंकुश लग जाये। यह भी तय हुआ कि अब डयूटियां मनमर्जी से नहीं बल्कि डयूटी रोस्टर के आधार पर होंगी। प्रधानाचार्य ने यह भी कहा कि आईजीएमसी में सभी तरह की अराजकता व अनुशासनहीनता पर रोक लगेगी।