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बीपीएस प्लेनेटोरियम अम्बाला छावनी में किया हरियाणा के वीरों के नाम नाटक मंचन का कार्यक्रम

अम्बाला / 26 फरवरी / न्यू सुपर भारत

सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा द्वारा आयोजित आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम की श्रृखंला में 1857 का संग्राम – हरियाणा के वीरों के नाम नाटक मंचन का कार्यक्रम बीपीएस प्लेनेटोरियम अम्बाला छावनी में किया गया। कार्यक्रम में हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। उन्होंने दीपशिखा प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

इस अवसर पर हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि हरियाणा के सपूत देश के लिए कुर्बानी देने में हमेशा आगे रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता संग्राम की शुरूआत भी हरियाणा से अम्बाला छावनी में सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से हुई थी। प्रदेश के स्वतंत्रता संग्रामियों के बलिदान और शौर्य गाथाओं को अमर रखने के लिए अम्बाला छावनी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर का शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। उन्होने कहा कि भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी श्रृखंला में हरियाणा के वीरों के नाम नाटक का मंचन यहां किया गया है।

उन्होंने कहा कि 1857 की स्वतंत्रता संग्राम की पहली चिंगारी अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी।  उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने शुरू से यह पढाया है कि आजादी की लड़ाई कांग्रेस ने लडी, लेकिन कांग्रेस का जन्म ही 1885 में हुआ है जबकि आजादी की पहली लड़ाई उसके जन्म से पूर्व 18 साल से पहले 1857 में शुरू हो चुकी थी।

उन्होंने कहा कि इससे यह बात साफ होती है कि हिन्दुस्तान के लोगों में आजाद होने का जज्बा पहले से ही था और उन्होने आजादी की पहली अलख 1857 में ही जगा दी थी। ऐसे क्रांतिकारी वीर शहीदों का नाम कहीं आगे नहीं आने दिया गया और उनके जीवन के बारे में पढाया नहीं गया और न ही उन्हें याद किया गया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी शासकों ने भी इतिहास को अपने हिसाब से लिखा और उनके द्वारा किए गये अत्याचार का वर्णन कहीं नहीं आने दिया।

उन्होंने कहा कि आजादी की पहली लड़ाई में जिन अनसंग हीरो ने अपना बलिदान दिया, उनकी याद में तराने गाए जाने थे वे नहीं गाए गये। आजादी की लड़ाई इसी धरती से शुरू हुई थी, यह बात शोध और इतिहासकारों द्वारा उपलब्ध करवाए गये तथ्यों से साफ हो चुकी है।

कुरूक्षेत्र यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर के.सी. यादव ने तथ्यों और शोध के द्वारा यह साबित किया है कि 10 मई 1857 को आजादी की पहली लड़ाई मेरठ से 9 घंटे पहले अम्बाला छावनी से शुरू हुई थी जिसमें हरियाणा का विशेष योगदान था और यह लड़ाई हरियाणा के कण-कण में लड़ी गई। उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई में जो भी क्रांतिकारी व लोग एक कदम भी चले हैं, ऐसे सभी जाने अनजाने वीरों के बलिदान के आगे वे नतमस्तक हैं। ऐसे हीरोज को सामने लाना बेहद जरूरी है।


गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि मंच नाटक प्रस्तुत करने का एक खुबसूरत माध्यम है। टैलीविजन आने के बाद इस माध्यम से युवा पीढ़ी अनभिज्ञ है। उन्होंने कहा कि अभिनय एवं नाटक के द्वारा रंगमंच पर अपनी कला का खूबसूरती से प्रदर्शन करना और जानकारी देना किसी कलाकार की कला को दर्शाता है। हमारी पुरानी फिल्मी हस्तियों ने भी रंगमंच के द्वारा अपने कैरियर की शुरूआत की थी।

उन्होंने कहा कि हरियाणा के वीरों के नाम नाटक मंचन में राष्ट्रीय स्तर के अवार्डी कलाकारों द्वारा यहां मंच पर अपनी प्रतिभा का बेहद ही खूबसुरत एवं बेहतरीन ढंग से प्रदर्शन किया है जिससे 1857 की घटना को जीवंत कर दिया गया है। उन्होंने नाटक के समापन पर खड़े होकर तालियां बजाकर कलाकारों का उत्साहवर्धन किया और उनकी कला की जमकर प्रशंसा की तथा आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा0 कुलदीप सैनी ने मंच संचालन करते हुए गृहमंत्री अनिल विज का स्वागत करते हुए हरियाणा के वीरों के नाम नाटक मंचन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कलाकारों का परिचय करवाते हुए नाटक में प्रस्तुत कथानांक के बारे में भी बताया कि किस प्रकार से ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई और हरियाणा वासियों ने तथा यहां के लोगों ने उनका विरोध किया।

उन्होंने अम्बाला छावनी से शुरू हुई आजादी की पहली लड़ाई के बारे में भी बताया तथा अम्बाला छावनी में बनाए जा रहे शहीदी स्मारक के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस नाटक का अन्य जिलों में भी मंचन किया जायेगा।

इस मौके पर मण्डलायुक्त रेणू एस फुलिया, उपायुक्त विक्रम सिंह, सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग हरियाणा के अतिरिक्त निदेशक डॉ0 कुलदीप सैनी, मण्डल प्रधान राजीव डिम्पल, मंडल प्रधान किरण पाल चौहान, मण्डल प्रधान अजय पराशर, संजीव वालिया, रवि सहगल, जिला महामंत्री ललित चौधरी, श्रीमती विजय गुप्ता, कमल किशोर जैन, विजेन्द्र चौहान, ललिता प्रसाद, राम बाबू यादव, गोपी सहगल, विशाल बत्तरा,  दीपक भसीन, डीएस माथुर के साथ-साथ भाजपा के अन्य पदाधिकारीगण व गणमान्य लोग मौजूद रहें।

कार्यक्रम के दौरान गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने नाटक के निदेशक चाईनिज गिल को शॉल भेंटकर उनका अभिन्नदन किया। वहीं सूचना जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग तथा जिला प्रशासन की ओर से मण्डलायुक्त रेणू एस फुलिया ने गृह मंत्री को स्मृति चिन्ह व उपायुक्त विक्रम सिंह ने शॉल भेंटकर उनका यहां पहुंचने पर अभिन्नदन किया। कार्यक्रम का शुभारम्भ तथा समापन राष्ट्रीय गान के साथ किया गया।

गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने नाटक के कलाकारों द्वारा 1857 का संग्राम हरियाणा के वीरों के नाम जो नाटक की प्रस्तुति दी उसकी जमकर सराहना की और कहा कि कलाकारों ने जो प्रस्तुति दी है उसमें 1857 का संग्राम की क्रांति को दर्शाने का काम किया और कलाकरों ने ऐसी बेहतर प्रस्तुति दी है कि मानो सारा साराशं जीवन्त हो गया हो।

उन्होनें कहा कि अम्बाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर करोड़ों रूपए की लागत से अन्तर्राष्टï्रीय स्तर का शहीदी स्मारक बनाने का कार्य किया जा रहा हैं। इस स्मारक को बनाए जाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि आजादी के महायज्ञ में जिन अनसंग वीरों ने अपना बलिदान दिया था, उनकों दुनिया के सामने लाया जा सकें। स्मारक में आजादी से सम्बध्ंिात लड़ाई को भी प्रदर्शित किया जाएगा, इसे तीन चरणों में विभाजित किया गया हैं।

पहले चरण में आजादी की लड़ाई में अम्बाला के योगदान का, दूसरे चरण में हरियाणा के वीरों की लड़ाई का विवरण तथा तीसरे चरण में राष्टï्रीय स्तर पर जो आजादी के आंदोलन में जो लड़ाई लड़ी गई उससे सम्बधिंत वर्णन प्रदर्शित किया जाएगा और अम्बाला छावनी का शहीदी स्मारक एक अंतराष्ट्रीय स्थल बनने जा रहा है।

सूचना, जन सम्पर्क एवं भाषा विभाग द्वारा आयोजित 1857 का संग्राम हरियाणा के वीरों के नाम का मंचन रंगरूट थियेटर ग्रुप चण्डीगढ़ के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसके राईटर डा0 चंद्रशेखर नेशनल अवार्डी उस्ताद बिस्मीला खान अवार्ड, डायरैक्टर चाईनिज गिल नेशनल अवार्डी उस्ताद बिस्मिला खान अवार्ड, म्यूजिक राईटर विनोद भारती और म्यूजिक कम्पोजर माजिद खान तथा जसवीर कुमार नेशनल अवार्डी उस्ताद बिस्मिला खान ने रावतुलाराम की बेहद खूबसुरत भूमिका अदा की।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण से 1857 के स्वंतत्रता संग्राम के कई आयाम है। इस नाटक की विषय वस्तु को हरियाणा के सामाजिक-आर्थिक परिपेक्ष्य में गढ़ा गया है। हरियाणा प्रदेश हमेशा से कृषि में अव्वल रहा है। इसलिए 17वीं शताब्दी में ईस्ट इंडिया कंपनी के मुनाफाखोर नीति का सबसे ज्यादा कुप्रभाव हरियाणा प्रदेश को भुगतना पड़ा। देशी रियासत प्रभावहीन हो गए थे। स्थानीय प्रशासन पर ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभुत्व था।

कंपनी के भूमि संबंधी कानून ने कृषि को बर्बाद कर दिया। किसान तबाह हो गए। गांव के युवक रोजी-रोटी के लिए कंपनी फौज में भर्ती हो गए। लेकिन वहां भी उन्हें शोषण ओर प्रताडऩा ही मिला। अत: किसानों की पीड़ा, स्थानीय स्तर पर शोषण और अत्याचार, फौज में हिन्दुस्तानी सिपाहियों की दुर्गती आदि को कथावस्तु के केन्द्र में रखा गया है। साथ ही औरतों, युवाओं, आम लोगों, फकीरों और ईमामों के योगदान को भी रेखांकित किया गया है। कथावस्तु में ऐतिहासिक परिपेक्ष्य को भी उचित स्थान दिया गया है।

नाटक को हरियाणा के लोकनाट्य सांग की शैली में रचा गया है। कथा गायन पद्यति को मुख्य आधार बना कर नाटक की घटनाओं को पेश किया गया है। जिसमें गीत-संगीत की प्रधानता है। राधेशाम, आल्हा, शिवरंजनी आदी, सांग के पारंपरिक धुनों पर सभी गीतों को लयबद्ध किया गया है। अभिनय शैली में भी लोकनाट्य की सहजता और स्वच्छंदता को बखुबी बनाए रखने की कोशिश की गई है।

अभिनेताओं में पारंपरिक और आधुनिक दोनों शामिल है। जो संपूर्ण प्रस्तुति को एक नया स्वरुप प्रदान करता है। मंच व्यवस्था अनौपचारिक रखा गया है। सांग की पारंपरिक प्रस्तूति की तरह सभी कलाकार और वाद्य-वादक मंडली स्टेज पर ही बैठे रहते है और वहीं से उठकर अपना अभिनय करते है। वस्त्र विन्यास के लिए वास्तविकता और नाटकीय रचनात्मकता का समायोजन किया गया है। ऐतिहासिक तथ्यों, मानवीय संवेदनाओं, और भरपूर गीत-संगीत से इस नाटक को सजाया गया है।

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