स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा डेंगू और मलेरिया से बचाव के लिये किया जा रहा है मच्छर मार दवाईयों का छिडक़ाव

अम्बाला / 11 अक्तूबर / न्यू सुपर भारत
सिविल सर्जन डा0 कुलदीप सिंह ने बताया कि गर्मी और बरसात के मौसम को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमें पूरे अलर्ट पर हैं। डोर टू डोर सर्वे और सम्बन्धित द्वारा लापरवाही बरतने के दृष्टिïगत अब तक 6670 लोगों को नोटिस दिये गये हैं। इतना ही नही उन्हें समझाने का काम भी जारी है कि वे मलेरिया और डेंगू से बचाव के लिये पूरी तरह से सावधान और सतर्क रहें। जिन घरों में मच्छर का लारवा पाया गया, उनको नोटिस देने का सिलसिला जारी है।
इस विषय को लेकर जब नोडल अधिकारी डा0 संजीव कुमार सिंगला और डा0 सुनील हरी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिला में स्वास्थ्य की दृष्टिï से बेहतरीन व्यवस्था पर पूरा जोर दिया जा रहा है। विभाग द्वारा किसी प्रकार की कोई कमी नही छोड़ी जा रही है। स्वास्थ्य विभाग अलर्ट मोड पर है। अब तक जिला में डेंगू के 68 मामले सामने आये हैं, जिनमें से 45 ठीक हो चुके हैं और अन्य 23 का उपचार चल रहा है और वह भी जल्द स्वस्थ हो जायेंगे। जिला में अभी तक मलेरिया का कोई भी मामला सामने नही आया है। यह हम सबके लिये राहत भरी बात है।
इस विषय को लेकर जब सिविल सर्जन डा0 कुलदीप से बात की गई तो उन्होंने बताया कि हमारा प्रयास है कि मलेरिया व डेंगू का पूरा तरह से खात्मा हो। इस विषय को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह प्रयासरत है। सरकार द्वारा भी अथक प्रयास किए जा रहे हैं। कोविड-19 जैसी जानलेवा बीमारी के साथ-साथ मलेरिया, डेंगू व चिकिनगुनिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग पैनी नजर बनाए हुए है। उन्होंने नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि वे स्वच्छता पर विशेष ध्यान दें। एक जगह पर पानी को इक्_ा न होने दें।
उन्होंने बताया कि मच्छर ठहरे (एकत्रित) हुए पानी मे अंडे देते हैं, जिससे मलेरिया व डेंगू की बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की बढ़ोतरी तेजी से होती है। इसलिए तुरंत प्रभाव से मच्छर मारने के लिये ठहरे हुए पानी मे काला तेल व टेमिफोस की दवाई का छिडक़ाव करवाया जा रहा हैं, जिससे मच्छर का लारवा खत्म हो सके और जानलेवा बीमारी फैलाने वाले मच्छरों की उत्पत्ति पर पूर्ण रूप से रोक लग सके। इस संबंध में जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हंै। फोगिंग का कार्य भी निरंतरता में करवाया जा रहा है।
उन्होंने आगे बताया कि जिला में ब्रीडिंग चेकर, फील्ड वर्कर द्वारा घर-घर जाकर मलेरिया उन्मूलन संबंधि मच्छर के लारवा की ब्रीडिंग चेक की जा रही है और ब्रीडिंग पाए जाने पर तुरंत प्रभाव से टीमों द्वारा टेमिफोस की दवाई डलवाकर लारवा को नष्ट किया जा रहा है। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे हर रविवार को सभी लोग ड्राइ डे (शुष्क दिवस) के रूप मे मनाएं, जिस दौरान घर के सभी कूलर व टंकियों को अच्छी तरह से कपड़े से रगडक़र साफ कर लें, फ्रिज की ट्रे का पानी जो बिजली जाने के बाद फ्रिज की बर्फ के पिघलने से ट्रे में एकत्रित होता है, उसको जरूर साफ करें। क्योंकि फ्रिज की ट्रे के साफ पानी में डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर की उत्पत्ति होती है।
घर मे प्रयोग किए जा रहे एसी के पानी को एकत्रित न होने दें। क्योंकि एसी के साफ एकत्रित पानी में भी डेंगू फैलाने वाले मच्छर पैदा होते हैं, जिस पानी को निकालना संभव न हो उसमें काला तेल या डीजल डाल सकते हैं, जिससे मच्छरों की उत्पत्ति न हो पाए। जिले में घरों की जांच स्वास्थ्य विभाग की टीमो द्वारा की जा रही है और जिन घरो में मच्छर का लारवा मिल रहा है, उन सभी घरों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा चेतावनी संबंधित नोटिस दिए जा रहे हैं और साथ में हिदायत भी दी है कि आगे से पानी के सभी स्त्रोतों की सप्ताह में एक बार पानी को सुखाकर अच्छी प्रकार से कपडे से रगडक़र साफ करें, जिससे मच्छरों की बढ़ोत्तरी पर रोक लग सके।
डा0 संजीव सिंगला ने जानकारी दी कि विभाग द्वारा जिला में अब तक 6670 को नोटिस दिये जा चुके हैं। आमजन से अपील की जा रही है कि सभी को रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए व दिन के समय पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए, जिससे मच्छर के काटने से बचा जा सके। उन्होंने बताया कि मलेरिया के शुरूआती लक्षणों में तेज ठंड के साथ बुखार आना, सर दर्द होना व उल्टियों का आना है। इसलिए कोई भी बुखार आने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर मलेरिया की जांच करवाएं और अगर मलेरिया जांच में पाया जाता है तो उसका 14 दिन का इलाज स्वास्थ्यकर्मी की देख रेख में करे।
मलेरिया के मुख्य लक्षण:- सर्दी व कंपकंपी के साथ तेज बुखार का होना, सिरदर्द होना व गंभीर मामलो मे उल्टियां होना।
मलेरिया का उपचार व बचाव:- कोई भी बुखार मलेरिया हो सकता है, इसलिए बुखार होने पर अपने नजदीक स्वास्थ्य केन्द्र में तुरन्त रक्त की जांच कराएं। मलेरिया होने पर तुरन्त 14 दिन का पूर्ण आमूल उपचार स्वास्थ्यकर्मी की देख रेख मे लें, क्योंकि आमूल उपचार न लेने से मलेरिया बुखार बार-बार होता है। मलेरिया बुखार बार-बार होने से खून की कमी हो जाती है जोकि बहुत घातक होती है। घरों में मच्छरनाशक दवाई का छिडक़ाव करवाएं।
मच्छरदानी का प्रयोग करें। पूरी बाजू के कपडें पहनें। घर के आस-पास पानी इक न होने दें। बरसात का मौसम शुरु होने से पहले घर के आस-पास के गड्ढïों को भर दिया जाए ताकि बरसात का पानी इक न होने पाएं, जिसमें मच्छर पनपते है।
डेंगू व चिकिनगुनिया का उपचार व बचाव:- डेंगू व चिकिनगुनिया फैलाने वाला मच्छर एडीज दिन में काटता है व रूके हुए साफ पानी में ही पनपता है।
डेंगू के लक्षण:- अकस्मात तेज बुखार का होना, आचनक तेज सिर दर्द होना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना, आंखों के पीछे दर्द होना, जोकि आंखों को घुमाने से बढ़ता है।
चिकिनगुनिया के लक्षण:- बुखार के साथ जोड़ों में दर्द व सूजन होना, कपकपी व ठंड के साथ बुखार का अचानक बढऩा, सिर दर्द होना।
क्या करें:- घरों के आस-पास गड्ढïों को मिट्टïी से भरवा दें। अपने कूलर, होदी या पानी से भरे हुए बर्तन सप्ताह में एक बार अवश्य खाली करें व कपड़े से अच्छी तरह से रगडक़र साफ करके प्रयोग करें। शरीर को ढक कर रखे और मच्छर रोधी दवा या क्रीम व कीटनाशक दवाई से उपचारित मच्छरदानी का उपयोग करे एवं पूरी बाजू के वस्त्र पहने। छतों पर रखी पानी की टंकियों को ढक्कन लगाकर बंद रखे। बुखार आने पर डाक्टर की सलाह अवश्य लें।
क्या न करें:- स्वयं दवा न खाएं, एसप्रीन, ब्रुफिन दवाइयो का सेवन न करें। घरो के आस-पास के गड्ढïों में 7 दिन से ज्यादा पानी एकत्रित न होने दें। पुराना सामान जैसे टायर, ट्यूब, खाली डिब्बे, पॉलिथीन के लिफाफे खुले मे न फैंके, ताकि बरसात का पानी उनमें न भरे। यदि कूलर प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है, तो उसमे पानी इक_ïा न होने दें। हैंडपंप या नल के आस-पास पानी जमा न होने दें। टायर ट्यूब, खाली डिब्बे खुले में न छोड़े। पानी ठहरेगा जहां मच्छर पनपेगा वहां।
सिविल सर्जन डा0 कुलदीप सिंह ने बताया कि डेंगू का मच्छर मानवता का दुश्मन है। यह एक व्यक्ति को काटकर अन्य व्यक्तियों को भी काट लेता है। इसलिये इसका तोड़ तो यही है कि इसको फैलने से रोकना चाहिए। कहीं भी पानी न खड़ा होने दें। लोगों विशेषकर बच्चों को पूरी बाजू के कपड़े पहनने चाहिए ताकि यह मच्छर अपना प्रहार न कर सके। मलेरिया और डेंगू की जांच के लिये 6768 ब्लड स्लाईड ली गई हैं।