बांठडा मंडी जनपद का लोकप्रिय लोक नाटय

मंडी / 03 अगस्त / न्यू सुपर भारत न्यूज़ :
बांठडा मंडी जनपद का लोकप्रिय लोक नाटय रहा है। बांठडा का शाब्दिक अर्थ सुन्दर अथवा बनठकर कर रहने वाले के लिए भी प्रयुक्त होता है। हिमाचल के लोक नाटयों में बांठडा का अपना विशेष स्थान है। लोक नाटय में हास्य प्रदान होने के साथ-साथ अपने समय में फैली कुरीतियों व विसंगतियों के प्रति लोगों को जागरूकता का संदेश दिया जाता है।
भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा रविवार को बल्ह उपमंडल के लूणा पानी में ऑनलाईन पारम्पारिक लोक नाटय बांठडा का आयोजन किया गया । जिला भाषा अधिकारी रेवती सैनी ने बताया कि पारम्पारिक लोक नाटय बांठडा की सशक्त व मनोरंजक परिस्थिति हिमाचल की प्रसिद्ध संस्था माण्डव्य कला मंच के लोक कलाकारों ने की।
कार्यक्रम का संचालन व संयोजन संस्कृति कर्मी कुलदीप गुलेरिया ने बांठडा की पृष्ठ भूमि पर प्रकाश डालते हुए हर संवाग का परिचय देते हुए बखूबी निभाया। उन्होंने पारम्पारिक तरीके से बांठडा का मंचन करवाया।
सर्वप्रथम बीरी सिंह की शहनाई और भीषम की बांसुरी वादन की युगलबंदी के बाद लोक कलाकार ललिता कुमारी, संगीता कुमारी तथा विजेन्द्र पाल ने कृष्ण व गोपियों का अभियन्य करते हुए हरि रंग लागा, श्याम रंग लागा पर रास लीला रचाते हुए हरि रंग की मनोरम प्रस्तुत दी। इसके बाद क्रमबद्ध तरीके से माल सवांग में दुर्गा दास, गुर चेला (डाऊ) सवांग में धर्मेन्द्र, अभय, ललिता, रवि, दुर्गादास, संगीता ने सामाजिक कुरीतियों व अंध विश्वासों पर जबरदस्त प्रहार करते हुए अपने अभिनय से अमिट छाप छोड़ी।
लोक नाटय बांठडा में अभिनय और संगीत पक्ष दोनों ही सशक्त होते हैं। संगीत और गायन में मनीष अटल, कमलदीप, राजेश, जितेश, अंशुल ने बेहतरीन तालमेल के साथ सभी प्रस्तुतियों में सामाजस्य बनाए रखा।
माण्डव्य कला मंच के प्रधान मयंक गुलेरिया ने लोक कलाकारों के प्रोत्साहन व लुप्त होती विधाओं को बचाए रखने तथा लोक संस्कृति के संरक्षण के लिए भाषा विभाग का आभार व्यक्त किया।
