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फसल अवशेषों को जलाने की बजाय मिट्टी में मिलाएं किसान : डीसी

झज्जर / 11 अक्टूबर / न्यू सुपर भारत

डीसी कैप्टन शक्ति सिंह ने धान,बाजरा सहित अन्य फसलों की पैदावार लेने वाले किसानों का आह्वान किया कि वे फसल अवशेष ना जलाएं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में खरीफ फसलों की कटाई प्रारम्भ हो चुकी है। किसान अक्सर फसल के अवशेषों को आग लगा देते हैं, जबकि इन अवशेषों को मिट्टी में मिलाना चाहिए। क्योंकि ये अवशेष फास्फोरस, मैग्नीशियम, लौह जैसे तत्व व अन्य पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं। जमीन में जैविक कार्बन की भी पूर्ति करते हैं। जिससे फसलों की पैदावार बढ़ती है व जमीन में जल धारण क्षमता बढ़ती है। इसी प्रकार धान के अवशेषों को भी जमीन में मिलाने से पोटास, सल्फर व जैविक कार्बन की पूर्ति होती है। डीसी ने कहा कि फसल अवशेषों को पशु चारे के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आय भी होगी।

दूसरी ओर उप कृषिनिदेशक, डा जितेन्द्र कुमार ने बताया कि फसल अवशेष जलाने से जमीन का 100 प्रतिशत नाईट्रोजन, 25 प्रतिशत फास्फोरस, 20 प्रतिशत पोटास, 60 प्रतिशत सल्फर का नुकसान होता है। फसल अवशेष जलाने से कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड तथा मीथेन जैसी हानिकारक गैसें उत्पन्न होती हैं। इसके जलाने से भूमि तापमान बढ़ता है तथा छोटे पौधे व पौधों पर आश्रित पक्षी मारे जाते हंै। बचे हुए फसल अवशेषों को हैरो, रोटावेटर या अन्य कृषि यन्त्रों का प्रयोग करते हुए खेत मेंं मिलाए और जमीन की उर्वरा शक्ति को बढ़ाएं ।

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