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जापान और यूएसए का फूल गांव मघरपुरा में बिखेर रहा है अपनी खुशबु

युवा किसान हरीश सैनी बने हैं दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत

शहजादपुर / 3 अप्रैल / न्यू सुपर भारत

गांव मघरपुरा में जापान और यूएसए का फूल बिखेर रहा है अपनी खुशबु, इस गांव में युवा किसान हरीश सैनी द्वारा विदेशो से फूलों का बीज मंगवाकर फूलों की खेती की जा रही है। फूलों एवं सजावटी पौधों की खेती लगभग साढे 4 एकड़ में इस युवा किसान द्वारा की जा रही है जिसका टर्नओवर 50 से 60 लाख रूपये, मुनाफा 25 से 30 लाख रूपये है।

किसान हरीश सैनी द्वारा फूलों की तैयार की गई पौध एवं फूलों के पौधे उत्तरी भारत के विभिन्न शहरों में अपनी खुशबु बिखेर रहे हैं। हरीश सैनी ने बताया कि उनके फार्म साश्वत सीड लिंक में सर्दियों और गर्मियों में तैयार होने वाले फूलों की पूरी वैराईटी है।

फूलों की सर्दी में तैयार होनी वाली वैराईटी- हाईब्रिड गैंदा, दनथूस, गजेनिया, पैंजी, साल्विया, वेरबिना, स्टॉक, एस्टर, कारनेशन, पिटूनिया, जैरेनियम, डेजी आदि किस्मों के इम्पोट्रड बीज से वे पौध तैयार कर रहे हैं। जोकि 30 से 40 दिन में तैयार होती है।

गर्मी की किस्में- मैन विन्का (सदाबहार फूल), पोरचुलाका जिसे दोपहर खेड़ी भी कहा जाता है। यह फूल दोपहर में खिलता है। कोचिया, बालसम, सिलोसिया, कॉसमॉस, गोम्फ्रेना के साथ-साथ पपीता और तुलसी के पौधे भी तैयार किए जाते हैं।

पपीता- ताईवान के पपीते की वैराईटी रैड लेडी 786 किस्म के पौधे भी यहां तैयार किए जाते हैं जिसके हर पौधे पर फल लगता है।

यहां तैयार किए गये फूलों की पौध एवं पौधों की डिमांड सहारनपुर, देहरादुन, ट्राईसिटी चण्डीगढ़, अमृतसर तथा जम्मू आदि शहरों में बहुतायत मात्रा में हैं और होलसेल रेट पर यह पौधे वहां पर भेजे जाते हैं। इस फार्म पर फूलों की विदेशी वैराईटी के साथ-साथ भारत के पुणे की विभिन्न वैराईटियां भी यहां तैयार की जा रही हैं।

उल्लेखनीय है कि किसान हरीश सैनी ने लीज पर साढे 4 एकड़ भूमि गांव मघरपुरा में लेकर उस पर बागवानी विभाग की स्कीम के अंतर्गत नेट हाउस और पोली हाउस लगाया है। जिस पर उन्हें 65 प्रतिशत की सबसीडी भी मिली है। इन नेट और पोली हाउस में फूलों की पौध और फूल तैयार किए जा रहे हैं। बता दें कि गांव सरसेहड़ी के युवा किसान हरीश सैनी ने बीएससी कम्पयूटर इलैक्ट्र्रोनिक्स और कम्पयूटर इंजिनियरिंग में डिप्लोमा किया हुआ है।

वे बताते है कि उनके पिता की अम्बाला छावनी में फूलों की नर्सरी थी जिससे उनका फूलों की खेती के प्रति लगाव बढ़ा और उन्होंने फूलों की नर्सरी प्लस इंटरगे्रटिड फार्मिंग भी की जिससे उनकी नोलेज बढ़ी। वे बताते हैं कि पिछले तीन साल से वे फूलों की खेती कर रहे हैं। पुणे में फूलों की आधुनिक खेती की जाती है और हम उनसे इसमें लगभग 20 साल पीछे हैं।

हरीश सैनी ने बताया कि पौध तैयार करने के लिए एक एकड़ में पोली हाउस सीड लिंक सैक्शन, 1.50 एकड़ में एक ओर पोली हाउस जिसमे एरो ड्रिप सिस्टम से गमलों के अंदर ही तैयार पौधे को पानी और उनको खुराक दी जाती है जोकि सीधी जड़ में जाती है तथा लगभग 2 एकड़ में नेट हाउस लगाया हुआ है। इतना ही नहीं फार्म में वीड मैट भी लगाया हुआ है जिससे खतपतवार नहीं पनपता और वर्षा का पानी भी जमीन में नीचे चला जाता है। इससे जहां मैन पावर की बचत होती है वहीं फूलों को तैयार करने में खर्च भी कम आता है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में लगभग 12 लाख फूलों की पौध तैयार होती है।

पोली हाउस में लगभग 1.50 एकड़ में बीज से पौध बगैर मिट्टी के तैयार की जाती है जिसमें नारियल के चूरे/कोकोपीट मिक्सचर से पौध तैयार होती है। इस फार्म की सबसे खास बात यह है कि पूरे  4.50 एकड़ में वीड मैट और ऐरोड्रिप सिस्टम लगाया हुआ है। फूल तैयार करने के लिए पुणे की टैक्नोलोजी को यहां अपनाया गया है।

पोली हाउस में टैम्परेचर मैंटेन करने के लिए फव्वारा सिस्टम लगाया गया है तथा टिशू कल्चर प्लांट भी लगा हुआ है। हरीश सैनी बताते हैं कि फूलों की खेती के लिए जैसी जलवायु एवं मौसम पुणे का है वैसा यहां का नहीं है। फूलों की खेती के लिए यहां का मौसम और जलवायु विपरित है लेकिन फिर भी वे अपने अनुभव और मेहनत के दम पर फूलों की खेती कर रहे हैं।

उन्होने कहा कि परम्परागत फसलों की बजाए फूलों की खेती में थोडी मेहनत अधिक है लेकिन इसमें मुनाफा भी है।


युवा किसान हरीश सैनी ने कृषि के क्षेत्र में फूलों की खेती करके क्षेत्र में दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं। उन्होंने लगभग 60 लेबर को अपने फार्म पर काम भी उपलब्ध करवाया है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में 12 लाख पौध एक बार तैयार होती है। बीज से पौध तैयार करने पर एक पौधे पर 2 रूपये से 10 रूपये खर्च आता है और उन्हे होल सेल में 25 से 30 पैसे का मुनाफा प्रति पौधा होता है।

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