May 14, 2025

शिव भक्तों के लिए सर्वोत्तम है सावन का महीना।

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*कोविड-19 के चलते इस बार सावन माह में नहीं खुल पाएंगे प्राचीन सदा शिव ध्यूंसर महादेव मंदिर तलमेहडा व अन्य शिव मंदिरो के कपाट।

जोल / 15 जुलाई / अशवनी

हर वर्ष बहुत बड़ी उत्सुकता से श्रावण माह का इंतजार करते हैं हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष सावन माह की शुरुआत सक्रांति अथवा 16 जुलाई  से हो रही है। जिसके बाद इस महीने आने वाले सोमवार को व्रत और त्योहार भी शुरू हो जाएंगे। लेकिन इस बार कोविड-19 से उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए श्रावण माह में हर साल की तरह मंदिरों में धूमधाम देखने को नहीं मिलेगी। सावन माह का महीना शिव के भक्तों के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। ऐसी भी मान्यता है कि जो भक्त इस महीने में माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें भोले बाबा की असीम कृपा मिलती है। सावन का पहला सोमवार 20 जुलाई से शुरू होगा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय है इस महीने में भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिव भक्त गंगा नदी या अन्य पवित्र नदियों से जल लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। श्रावण या सावन महीने को सर्वोत्तम माह कहा जाता है।

पुराणिक तथ्यों के अनुसार भगवान शिव के भक्तों के लिए यह महिमा इसलिए भी खास है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार भोले बाबा सावन के महीने में धरा पर उनका स्वागत अघ्रय और जलाभिषेक से किया गया था। प्रत्येक वर्ष सावन माह में महादेव अपने ससुराल जाते हैं। भू-लोक वासियों के लिए भोलेनाथ की कृपा पाने का यह उत्तम समय होता है। शिव पुराण में उल्लेख है कि भगवान शिव स्वयं ही जल है इसलिए जल से उनकी अभिषेक के रूप में आराधना सर्वोत्तम फल है। ऐसी भी मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। जिला ऊना के प्राचीन सदाशिव ध्यूंसर महादेव मंदिर वही तलमेहडा, बाबा गरीब नाथ मंदिर झंगियां कोलका, नीलकंठ महादेव  वडूही इत्यादि धार्मिक स्थलों पर इस महीने में शिव भक्तों का आना जाना रहता है। शिव मंदिरों में भक्तों का हर हर महादेव का जयघोष और भोलेनाथ के प्रति उनकी अटूट आस्था देखते ही बनती है।

प्राचीन सदाशिव ध्यूंसर महादेव मंदिर वही तलमेहडा के चेयरमैन प्रवीण शर्मा ने कहा कि इस बार कोरोना बायरस महामारी के कारण भक्तों को अपने घरों में ही रह कर सावन में शिव अर्चना करनी होगी। महाकाल के भक्तों को पूरी उम्मीद है कि भगवान शिव के आशीर्वाद और सब के सहयोग से शीघ्र ही विश्व कठिन समय से बाहर निकलने में सफल होगा।

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