किसान उत्पादक संगठनों में किसानों को जोडक़र उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत बनाने पर हुआ विचार

फतेहाबाद / 06 सितंबर / न्यू सुपर भारत
बागवानी विभाग की जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक उपायुक्त महावीर कौशिक की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में जिला में किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के गठन व संवर्धन की दिशा में किए जाने वाले कार्यों की रूपरेखा पर विचार-विमर्श किया गया।
उपायुक्त महावीर कौशिक ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) की बड़ी भूमिका बताते हुए कहा कि इस बारे किसानों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए और इस प्रकार के संगठन बनाने के लिए भी प्रेरित किया जाए। उपायुक्त ने कहा कि एफपीओ के माध्यम से किसान फसल उत्पादन की योजना बनाने से लेकर बिक्री तक का कार्य स्वयं करेंगे और अच्छी आमदनी कमा सकेंगे।
उन्होंने कृषि विभाग, बागवानी व अन्य विभागों तथा जिला में इस क्षेत्र में काम करने वाली चार एजेंसियों नाबार्ड, लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ (एसएफएसी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी), लघु किसान कृषि व्यवसाय संघ हरियाणा (एसएफएसीएच) के अधिकारियों और उनके अंतर्गत आई एजेंसियों के साथ बैठक में किसान उत्पादक संगठनों बारे गहनता से विचार विमर्श किया।
उन्होंने सभी एजेंसियों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसान की फसलों के उचित दाम मार्केट में दिलाना सुनिश्चित करें, तभी एफपीओ के गठन के प्रति किसानों का रूझान बढ़ेगा। इसके लिए बड़े बाजार तलाश कर किसानों तक उसकी पहुंच सुनिश्चित करें।
उन्होंने कहा कि भविष्य की जरूरत है कि किसान के उत्पादन को बढ़ाया जाए। अगर किसान एफपीओ का गठन कर सामूहिक रूप से कृषि उद्योग के रूप में कार्य करेंगे तो निश्चित रूप से उनकी आय में बढ़ोतरी होगी। एफपीओ के तहत किसान अपनी फसल की मार्केटिंग भी अच्छी प्रकार से कर सकते हैं।
जब किसी यूनिक उत्पाद के साथ किसान अपने उत्पाद की मार्किटिंग करेगा तो निश्चित रूप से उस प्रोडक्ट की डिमांड मार्किट में बढ़ेगी और किसान की आमदनी बढ़ेगी। किसान कम लागत व कुशल तथा टिकाउ संसाधनों के उपयोग से बेहतर बाजार मूल्य प्राप्त कर अधिक लाभ प्राप्त कर सकेंगे।
उपायुक्त ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिए कि इस योजना के तहत किसानों को एफपीओ गठन के लिए तैयार करें, एफपीओ पंजीकृत करवाएं। उन्होंने बताया कि येाजना के तहत एक एफपीओ दो करोड़ रुपये तक का परियोजना ऋण भी ले सकता है। इसके अलावा विभिन्न खर्चों के लिए तीन वर्ष के लिए प्रति एफपीओ 18 लाख रुपये तक की मदद भी सरकार की ओर से देने का प्रावधान है।
उपायुक्त ने सभी खंडों में प्रस्तुत किए गए विभिन्न गांवों में मुख्य फसलों से संबंधित क्षेत्रों के क्लेस्टर की पहचान पर चर्चा की और इसे ज्यादा से ज्यादा किसानों को जोडऩे के निर्देश दिए। बैठक में सीएमजीजीए रितेश कॉल, डीएचओ डॉ. कुलदीप श्योराण, डीडीए डॉ. राजेश सिहाग, नाबार्ड डीएम पवन कुमार सहित किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधि व अधिकारी मौजूद रहे।