May 1, 2025

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया ब्लैक फंगस से बचाव के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी परामर्श

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हमीरपुर / 22 मई / न्यू सुपर भारत

ब्लैक फंगस को हाल ही में प्रदेश सरकार ने महामारी घोषित किया है। इससे बचाव के संबंध में स्वास्थ्य विभाग की ओर से यहां मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर.के. अग्निहोत्री ने विशेष परामर्श जारी किया है।

उन्होंने कहा कि फंगस बैक्टीरिया और वायरस की तरह ही एक सामान्य जीवाणु है जो हमारे शरीर में और वातावरण में मौजूद है। खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है। स्वस्थ और मजबूत इम्यूनिटी वाले लोगों पर यह अटैक नहीं कर पाता है। दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है।

ब्लैक फंगस के लक्षण:

उन्होंने कहा कि विभिन्न लक्षणों से इसके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है, जैसे नाक से काला द्रव या खून की पपड़ी निकलना, नाक का बंद होना, सिरदर्द या आँखों में दर्द, आंखों के आस-पास सूजन आना, धुंधला दिखना, आंखे लाल होना, आंखों की रोशनी जाना, आंख खोलने और बंद करने में परेशानी महसूस करना, चेहरा सुन्न हो जाना, चेहरे में झुरझुरी महसूस करना, मुंह खोलने या किसी चीज को चबाने में परेशानी होना इत्यादि।

उन्होंने परामर्श दिया है कि ब्लैक फंगस के लक्षण जांचने के लिए लगातार अपने चेहरे का निरीक्षण करते रहें और देखते रहें कि चेहरे पर कोई सूजन (खासकर नाक, आंख या गाल पर) तो नहीं है या फिर किसी भाग को छूने पर दर्द हो रहा हो। इसके अलावा अगर दांत गिर रहे हों या मुह के अंदर सूजन तथा काला भाग दिखें तो सतर्क रहें।

ब्लैक फंगस के लक्षण दिखें तो क्या करें:

ब्लैक फंगस की जांच के बाद कुछ भी शक हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। डॉक्टर की सलाह के अनुसार लगातार उपचार करवाएं। ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने का पूरा प्रयास करें। किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रसित हों तो उनकी दवाई का लगातार सेवन करते रहें। अपने आप से किसी भी तरह की दवा का सेवन न करें। अगर डॉक्टर सलाह दें, तभी एमआरआई और सीटी स्कैन करवाएं।

किसे है ब्लैक फंगस का खतरा

ऐसे कोरोना मरीज जिनका शुगर कंट्रोल नहीं रहता, कैंसर का भी उपचार करवा रहे हों, अन्य किसी रोग के लिए स्टेरॉयड या एंटिबॉयोटिक दवा का ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हों या फिर ऑक्सीजन सपोर्ट पर हों, उन्हें ब्लैक फंगस का ज्यादा खतरा रहता है।  

दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक कर पाता है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। चूंकि डायबिटीज के मरीज स्टेरॉयड का उपयोग करते हैं, इसलिए उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इस कारण ब्लैक फंगस को उन्हें अपना शिकार बनाने का मौका मिल जाता है। जिन मरीजों को शुरुआत में ही स्टेरॉयड दिए गए, उनमें ब्लैक फंगस का संक्रमण हो सकता है।

स्टेरॉयड की बहुत ज्यादा डोज दिए जाने पर भी ब्लैक फंगस होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे लोगों के खून में मिठास की मात्रा बढ़ जाती है जो हाई ब्लड शुगर के रूप में सामने आता है। अगर लंबे वक्त तक स्टेरॉइड्स दिए जाएं, तो भी लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आ सकते हैं।

रोकथाम के उपाय

उन्होंने कहा कि कुछ सावधानियां बरतने से इस बिमारी की चपेट में आने से बचा जा सकता है। शुगर कंट्रोल- खून में चीनी की मात्रा बढ़ने नहीं दें। जो लोग डायबिटिक हैं, उन्हें अपने शुगर को नियंत्रित रखने का अतिरिक्त प्रयास करना चाहिए। जो डायबिटिक नहीं है, लेकिन नियमित तौर पर स्टेरॉयड ले रहे हैं उन्हें अपना ब्लड शुगर हमेशा चेक करते रहना चाहिए।

स्टेरॉइड के बेजा इस्तेमाल से परहेज करें। स्टेरॉइड देने से बचें। अगर जरूरत पड़े तो कम डोज दें न कि बहुत ज्यादा। इस तरह की दूसरी दवाइयां भी तभी दी जाएं जब बहुत जरूरी हों।

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