भाषा, कला और संस्कृति विभाग को मिला श्रेष्ठता प्रमाण-पत्र *** अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘अर्थ डे नेटवर्क’ ने किया सम्मानित

सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति डॉ. पूर्णिमा चौहान अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘अर्थ डे नेटवर्क’ से प्राप्त श्रेष्ठता प्रमाण-पत्र के साथ
भाषा, कला और संस्कृति विभाग को मिला श्रेष्ठता प्रमाण-पत्र
— अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘अर्थ डे नेटवर्क’ ने किया सम्मानित
शिमला , 20 अगस्त :
भाषा, कला और संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश को 36 मंदिर परिसरों में स्वच्छ भारत अभियान को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय संस्था ‘अर्थ डे नेटवर्क’ ने सम्मानित किया है। सचिव भाषा, कला एवं संस्कृति डॉ. पूर्णिमा चौहान ने पुरस्कार ग्रहण करते हुए ‘अर्थ डे नेटवर्क’ का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि ‘अर्थ डे नेटवर्क’ विश्व भर में पर्यावरण प्रदूषण से पृथ्वी के बचाव पर 192 देशों में 75000 सहभागियों के साथ पर्यावरण लोकतंत्र पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि समस्त 36 मंदिर परिसरों में आस्था व सांस्कृतिक महत्व के कारण लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं, जिनमें ज्वालाजी, बैजनाथ, चिंतपूर्णी आदि मंदिर मुख्य तौर पर शामिल हैं। मंदिर परिसरों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए विभाग ने समुचित प्रयास किए हैं, जिनमें प्लास्टिक प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के लिए निर्देश जारी करने के साथ ही सूचना पटट् पर श्रद्धालुओं को ‘प्लास्टिक प्रयोग, उपयोग निषेध है’, के बारे सचेत किया जाता है। इसके अलावा मंदिर प्रशासन को निर्देश है कि प्रसाद की मात्रा एक समान रखकर उन्हें ‘जैविक अवक्रमण’ पदार्थ/सामग्री में रखकर बांटा जाए। धर्म एवं धार्मिक आस्था का सम्मान करते हुए सफाई कर्मचारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि मंदिर स्थल पर प्रसाद ईधर उधर न बिखरे अपितु उसे तत्काल इकट्ठा करके पशु पक्षियों को खिला दें, इससे न केवल प्रसाद को पैरों तले आने से निरादर होने से बचाया जा सकता है अपितु मंदिर परिसर को और अधिक साफ सुथरा रखा जा सकेगा। डॉ. पूर्णिमा चौहान ने कहा कि इन मंदिरों में प्रतिदित एक छोटे ट्रैकटर लोड के बराबर कूड़ा/कचरा एकत्रित हो जाता है, जिसकी मात्रा विशेष अवसरों, त्यौहारो के दौरान और अधिक बढ़ जाती है। इस कचरे को वहीं वर्गीकृत करने के बाद रीसाइकल करने बारे निर्देश जारी किए गए हैं। मंदिर प्रशासन यह भी सुनिश्चत करेगा कि फूल पत्तियों के चढावे की अगरबती/धूप के रूप में रीसाइकल किया जाए, जिससे वातावरण प्रदूषण मुक्त हो तथा मंदिर की आय में भी बढोतरी होने के साथ-साथ व्यवसाय के अवसर भी पैदा हों।