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जैसे वृक्ष में बीज छिपा हुआ है तथा बीज में वृक्ष, ऐसे ही ब्रह्म में जीव तथा जीव में ब्रह्म छिपा हुआ है :अतुल कृष्ण महाराज

जैसे वृक्ष में बीज छिपा हुआ है तथा बीज में वृक्ष, ऐसे ही ब्रह्म में जीव तथा जीव में ब्रह्म छिपा हुआ है :अतुल कृष्ण महाराज

ऊना, 21 जुलाई :

जैसे वृक्ष में बीज छिपा हुआ है तथा बीज में वृक्ष, ऐसे ही ब्रह्म में जीव तथा जीव में ब्रह्म छिपा हुआ है। ईश्वर के इतने नजदीक होते हुए भी अपने अस्तित्व का बोध न होने के कारण जीव दुखी है। उक्त अमृतवचन श्रीशिव महापुराण कथा के दूसरे दिन रविवार को परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण महाराज ने शिव मंदिर, बिजली बोर्ड काम्प्लेक्स रक्कड़ कॉलोनी ऊना में व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि परमात्मा जब जीव पर कृपा करते हैं तो उसे संपत्ति नहीं संतों का दर्शन कराते हैं। संत के दर्शन से मन की शुद्धि होती है, मति सुधरती है। संत कृपा से पापमय वृत्ति से मुक्ति मिल जाती है। यह बिल्कुल सत्य है कि प्रकृति में जितनी भी घटनाएं घट रही हैं वह जीव को शिव स्वरूप में ले जाने के लिए ही हैं। संसार में हमें कर्ता-भोक्ता के स्तर से उपर उठकर कर्म करने होंगे तभी हम शिव स्वरूप को उपलब्ध हो सकेंगे। भगवान की कथा भगवान की प्राप्ति का सुलभतम साधन है। भगवान के पास आने के लिए सिर्फ विश्वासपूर्ण श्रद्धा चाहिए और कुछ भी नहीं। उन्होंने कहा कि जो विज्ञान मनुष्य को अभय नहीं बना सकता वह विज्ञान नहीं अज्ञान है। परमात्मा का प्रवेश सर्वत्र है। आप दस ताले लगा दें तब भी वह आपसे दूर नहीं हो सकता। मोह में हमें अपनों का दोष नहीं दिखता जबकि घृणा में दूसरों की अच्छाई भी हमें बुराई ही नजर आती हैं। आपका खुश रहना ही आपके दुश्मनों को सबसे बड़ी सजा है। जीवन में दृढ़ निश्चय एवं प्रेममय संकल्प की प्रतिबद्धता परमात्मा को निराकार से साकार बना देती है। जिसके उपर प्रभु की कृपा हो जाती है सफलता एवं सद्गुण उस व्यक्ति की चरण चम्पी करते देखे जाते हैं। ईश्वर का आश्रित जीव सब कुछ करने में समर्थ हो जाता है, तभी तो अगस्त्य ऋषि समुद्र को भी पी जाते हैं। परमात्मा की प्रार्थना से ही सफलता का सवेरा होता है। जिस घर में सुमति होती है लक्ष्मी जी चाह कर भी उस घर को नहीं छोड़ पाती हैं। महाराज ने कहा कि जिनका भाग्य रूठा हुआ है वही जीव भगवान शिव का भजन नहीं करते। दूसरे देवताओं की भक्ति कठिन है जबकि भगवान शिव अपने उपर मात्र जल चढ़ा देने वाले से भी प्रसन्न हो जाते हैं। कथा में श्रीषिव महापुराण का महात्म्य, श्रवण की विधि, शिवलिंग की उत्पत्ति, पंचाक्षर मंत्र की महिमा, शिवार्चन में भस्म एवं रुद्राक्ष का महत्व लोगों ने तन्मय होकर सुना। इस अवसर पर मुख्य यजमान ओम प्रकाष शर्मा एवं आर डी अग्निहोत्री ने बताया कि कथा 30 जुलाई तक प्रतिदिन प्रात: 10 से 1 बजे दोपहर तक जारी रहेगी। कथा के पश्चात श्रोताओं के लिए लंगर भंडारा का आयोजन किया जाएगा।

         


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