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परमात्मा का क्षण मात्र का भी स्मरण अनेक जन्मों के संस्कारों को मिटा देता है:स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज

ऊना, 30 जून :

परमात्मा का क्षण मात्र का भी स्मरण अनेक जन्मों के संस्कारों को मिटा देता है। यह दिव्य कथामृत श्रीराम कथा के दौरान परम श्रद्धेय स्वामी अतुल कृष्ण जी महाराज ने रक्क्ड़ कालोनी ऊना में व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि यदि मन वश में नहीं है तो सत्संग सुने अथवा कथा का आश्रय लें। सत्संग, कथा एवं नाम जप इत्यादि के साधन नहीं अपनाएंगे तो बुद्धि तामसी होकर पतन के मार्ग को चुन लेती है। दूसरे युगों में भगवान भले ही देर से मिलते रहे होंगे पर कलियुग में प्रभु की प्राप्ति सरल है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की भक्ति से हमारे कर्म स्वाभाविक ही पूजा बन जाते हैं। भगवान ने जिसकी एक बार भी बांह पकड़ ली उसका कल्याण निश्चित है। संसार में हम कितनी ही प्रीति कर लें, अंत में धोखा एवं निराषा ही हाथ लगता है। परन्तु प्रभु के द्वार पर आए जीव को निराशा मिली हो ऐसा कोई भी दृष्टान्त नहीं है। अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि जो मनुष्य धर्ममय आचरण करता है उसे मोक्ष तो मिलता ही है साथ ही साथ उसके अर्थ एवं काम के मनोरथ भी पूर्ण हो जाते हैं। भगवान की कथा सुनना सबसे बड़ा पुरूषार्थ है। प्रभु के भजन के बिना दुखों से छुटकारा नहीं हो सकता। संसार की कोई भी वस्तु ईश्वर से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकती। सुख में तो हमारी मरजी की होती है पर दुख में शुद्ध रूप से भगवान की ही मरजी होती है। परमात्मा बिना मूल्य के प्राप्त होता है। हम ईश्वर से दूर नहीं हुए अपितु उनसे विमुख हो गए हैं। कथा में सुग्रीव को ऐश्वर्य की प्राप्ति, श्रीहनुमान के द्वारा सीता माता की खोज, लंका दहन एवं समुद्र पर श्रीराम जी के द्वारा सेतु बनाने का प्रसंग सभी ने अत्यंत भाव से सुना।

फोटो : रक्कड़ कॉलोनी में आयोजित भागवत कथा में प्रवचन करते हुए अतुल कृष्ण जी महाराज।  

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